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________________ [ ३० ] राजा राम नां पोथि राधा रमावे । अंला पौरसे हुओ दईता पछाई, अनड गोरधन हाथि एकिरिण उपाई। अला मथुरा मां जाइ नै कस मार, अला आपरा भगत प्रोथी उधारै।। अला उग्रसेना सरिसि राज आये, अला कुरिदि बाभरण तणी तुरत कापै ॥ अला रुखमणी राज रै पटराणी, 'असुर मार न पाहचे भली प्रांगणी।। अला अनरज तू हीज भरतार अोखा, अला सहज पदवन रा तूही सरीखा। अला जुध री बात अखियात जाणे, - माली तारि नै कूबड़ी नारि मारणे ।। 'अला जुध नै दैत गिरिराया न जाये, अला खड डडूळ नां तूंहीझ खायै । अला बुध अवतार तू वाप बाबा, निमो धरम नां कीध निरबळ नियावा । जुध घिरणी जगत केरिण भाति जीतो, विळे खाफर जिसो दइत वीतो। अला साहु ले सिधि वाळे सुणीज, अला कलकी तणी अवतार कीजै । अला अंक हूँ राज नां अरज आखा, दुजां ऊपरी भाउ करि देव दाखा । अंला घरम नां निवाजी विलै धेनां, मला सघारौ दुसटियां किलग सेना। अला प्रथमी प्रवीति कीजे, प्रमेस, अला नाम नां निमो निकलक नरे। अला साथ हुसेनियां तणौ. सामी,
SR No.010757
Book TitlePirdan Lalas Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages247
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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