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________________ तातै प्रति लोही तणां, वहिस वाहिळ्यिा । तिमि काळीगा त्रोड़िया, जिमि दळिया' डाहुळिया ॥५॥ देव कहै सिगळा दियौ, ईसाणद आसीस । किलग न जीती कापिरिस, जुध जीती जगदीस ॥५१॥ जख कीदर पीतर जणे, इमिया प्राखि अलाह। ब्रह्मा सकर वखारिणयो, पछिम तरणौ पतिसाह ॥५२॥ गावतरी जमणा गंगा, सावतरी नै सीत। पारवती पदमावती, गाय अलख रा गीत ॥५३।। कान फाड़ नै कापडी, सहि साधां रौ साथ । पिंडत वखाणे पीरना, नाग वखाणे नाथ ॥५४॥ चारण सहि कीरति चवै, अमर करै प्रादेस । ग्यान करीमो हइ गियो, विसिनि कियो कोइ वेस ।।५।। संमरा मंडप सझावियो, न्याउ करण निरधार । जाजम जांबूदीप मां, वावै रौ दरवार ॥५६॥ वारट ईसर बोलिया, निकळक साहिब नाम । किलग दईत ना कूटतां, कीधी सखरौ काम ॥५७|| हरि मिळिया बह हेत सा, सतगुरु नामै सीस । उरा पधारौ एथीय, आवै बारट ईस ॥५८|| ब्रह्मा सिव मिळिया वळे, जोइ हसिया जगदीस । मुकदि वघाया मोतियां, पाया वारट ईस ॥५६॥ वालिमीकि कीधो वळे, व्यास कियौ जस वास । भव भव रौ म्हारो भगत, देखी ईसरदास ॥६॥ सूरिजि चन्द्रमा सारिखा, बैठा छै विरदाळ । खेतपाळ हणमत खरा, कोटवाळ किरपाळ ॥६॥ सहस अठ्यासी रिखेसर, अणवर ब्रह्मा ईस । मिळिया मेळे सामिरे, सुर कोड़े तीस ॥ ६२ ।। १जीता।
SR No.010757
Book TitlePirdan Lalas Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages247
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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