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________________ [ ६० ] हलावी (३१)-चलाइए होगळाज (१९) एक देवी का नाम हलाहला (१०३) जिसका स्थान बलुचिस्तान हव (८१, ८६, १०२, १०३)-प्रव हस (४५, ८०)- हसता है, हसते है । हीगलाज (७४)-दुर्गा देवी या देवी हस्तरण (३१)-हस्तिनी की एक मूर्ति या भेद हारिण (११)-हानि जो सिंध और विलुचिस्तान हाक (६७)-दहाड के बीच की पहाडियो में हाटड़ा (६१)-दुकान स्थित है। हाटड (६७)-हाट, दुकान, वाजार, हीसु (८७)-शस्त्र विशेष स्थान । हीसुए (६६)-एक प्रकार का प्राचीन हाड (३, ५१) हड्डियां, अस्थि । शस्त्र विशेष जो हंसिया से हाथे (८२) ___मिलता-जुलता होता है। हालि (८२)-चलकर होमडी (११) हृदय, मन । हालिम (१०३) हीगोळ (२१)-हिंगलाज के लिए हाल (१००)-- प्रयोग किया जाता है। हास (५०) हास्य हीड (५८)-पलना मे झोका खाता ।। हिरिणयौ (५३)-मारा, सहार किया। है या पालना मे झूलता हिंदुप्राणी (१४)-हिन्दुस्त्री, हिंदुत्व हिज (६५)-ही, निश्चय हीव (६८)हिति (५४)-हित, स्नेह हीमाळ (६३)-हिमालय पर्वत हिम (८, २६, ५५, १६, ६२, ६५, / हीयाली (७८) प्रेम, हार्दिक स्नेह । ९६, ३७, ६३) हमको, | हीये (४०, ६८) हृदय प्रव। हु (३८) - होकर हिम (७, १०, ३२, ३७, ३८,७०, हुँता (२३, ४१, ४७, ७५)-से ७५) हमको, अव । हुँता (१०१)से हिया (८१)-हृदय हुँति (७, ४७, ५४, ६२, २३)-थी, हिव (७२)-प्रव हिवे (६६)-प्रव हुँतौ (३६)-धा य
SR No.010757
Book TitlePirdan Lalas Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages247
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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