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________________ [ ८० ] वोम (६०)-व्योम, आकाश । सम्बन्ध है । इस सम्बन्ध व्याधि (९३)-एक दानव का नाम, मे पाच व्यक्तियो के नाम व्याघ। मिलते है। व्यास (४४, १०३)-वेद-व्यास । सखघर (६८)-विष्णु, ईश्वर । व्रकदत (६३) - बकासुर से अर्थ लिया | मखवर (४२) गया है। संख-सामि (४३) --शंख को धारण व्रख (५९)-वृक्ष करने वाला, विष्णु। बनह (४१)-रग, वर्ण । । सखासुर (५६, ५७)-एक दैत्य जो व्रपा (७०) - विप्र ब्रह्मा के पास से वेद वहमि (७९) ब्रह्मा। चुराकर ले गया था। विख (३७)-वृक्ष। और समुद्र के भीतर विदि (१६)---विरुद। । छिप गया था। विदि (७८) सगट (८१)- सकट विप (४३)-विप्र, ब्राह्मण । संगठ ८३)--समूह विसपति (३६)-वृहस्पति सगठासुर (४, १००)-गकटासुर स नामक दैत्य जिसको कस सकर (८८)--शकर, विष्णु । कृष्ण को मारने के लिए संकरखरण ( )-विष्णु का एक नाम भेजा था। मख (४२)-शरुर, कुवेर की नौ । सघार (६२)-तहार किए। निधियो से एक अथवा एक | संघारं (२९)-सहार किए। असुर का नाम ? अथवाविष्णु | सघार (१२, ६८)-मधार करके । के चार मुख्य मे से एक । | सघारण (२४)-नहार करने को। नखचूड (६०)-~-एक दैत्य का नाम | संघारे (५७, ८१)-- संहार किये। जिसको कस ने कृष्ण को | मघार (६२, ६६)-सहार किए । मारने के लिए भेजा था | संघारौ (३०)—सहार कीजिये । और कृष्ण ने उसको मार | संताप (४२) डाला था परन्तु यहां पर सवाहिया (५६)-सम्हाले पौराणिक पाख्यानो से } सवाही (३४)-धारण करिये ।
SR No.010757
Book TitlePirdan Lalas Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages247
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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