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________________ [ ५३ ] पिरणीज (३२)-विवाह करिए। पोरीय (१०)-पीरदान लालस । पिरिण (३२)-विवाह किया। पीर (७५) -पीरदान लालस । पिरिणि (३७)-विवाह कर । पीरौ (७८)-पीरदान लालस । पिरिणियो (६७)--विवाह किया, पीलिरा (९०)-मार डाले । पारिण-ग्रहण किया। पीलिस (६६)-पीलेंगे , पिलारिणयों (११)-वारजामा कस कर, पुड (८६)-पत, तह । तैयार किया। पुणे (११, ५३, ६०)-- कहता है । पीपळ (९)-पीपल वृक्ष । पुतरी (२०)-पुत्री पींपळे (३१)-पीपळ पुत्रेई (६७)-पुत्र की। पीतर (१३)---पितृ-गण। पुन (३७) - पुण्य, फिर? पीधा (१६)-पी लिया। पुन (१०२)-पुण्य पीर (३, १०, ११, ७३, ७७, ८५, | पुनि (५४)-पुण्य, पुण्य कार्य । ८६, ६०, ६६)-पीरदान | पुरख (२७)-पुरुष लालस । पुराण (३७)-मनुप्यो, देवताओं दानवो श्रादि की वे कथायें जो पीरजादा (८६)---किसी पोर का परम्परा से चली आ रही हो। वशज। पुराणा (१०२)-प्राचीन, पुराना । पीरदान (४४, ५६, ६०, ६५, ६६) पुरातम (४, ४६, ४६ सं० पुरातन)पीरदान लालस । विष्णु का नामान्तर, प्राचीन, पीरदान (६, ४५, ५७)- कवि पीर- पुराना। दान लालस। पुरिसोत्तमा (७५)-पुरुषोत्तम । पीरदास (१, ३, ३७, ६६, ७०, ७१, | पुरुषोत्तम (४६)-ईश्वर, पुरुपो मे उत्तम। ७२, ७४, ६३)-कवि पीर पुलदर (१, २५)- इन्द्र दान लालस। पुलिंदर (२, ५५)-पुरदर, इन्द्र । पीराणा (३१)—पीर, वृद्ध । पूँजळदे (१५)--एक स्त्री का नाम । पीराह (१०)-पीर, महात्मा, सिद्ध । पूछाडिस (११)-पूटवायेंगे । पीरि (८८)-पीरदान लालस। पूठि (४१)-पीछे पीरिया (९५)-भक्त कवि पीरदान । पूत (३६)-पुत्र, लडका ।
SR No.010757
Book TitlePirdan Lalas Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages247
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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