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________________ [ ३४ ] भिख (७८)-प्रकाशित हो। ठगाई (९७)-धूर्तता। झूझ (३२)---युद्ध ठगारा (७६)-ठगने वाला, ठग, धूर्त। झूझना (७६)- युद्ध के, युद्ध का। ठगारी (१५)-ठग, धूर्त । झेडे (४५)-गिराता है, प्राप्त करता है । ठरिया (८१)-शीतल हुए। ठरी (१९)-ठंढी पड गई। टको (७०)-पैसा ठळा (६८)-ढेला। मुहा—वाल्ही टकौ-अत्यन्त | ठाभी (६०)-रोकिये। प्यारा। ठाम (४६) स्थान। एला (१०३) टक्कर ठाकराई (६७)-स्वामीत्व । टळ्यिा (६७)-मिट गये, दूर हो गए। ठार्ड (३६)--स्थान । टळ्यिौ (५६)--दूर हुआ, मिट गया। | ठाढी (४७)--शीतल । टळे (३५, ८०)=दूर हो, मिट जाता | ठावा (६५)-प्रसिद्ध, महान । ठावी (३२)-प्रसिद्ध । टलो (७८)-टक्कर, आघात । ठावी (६१)-महान, वडा । टल्ला (८८)-टक्कर, आघात । ठीक (९७, ६१)-अच्छा, भली प्रकार। टापौ (९६)-१ मारो, २. फेरा, व्यर्थ ठेल । व्यथ । ठेलस (६५)-पीछे होयेंगे, पराजित पीने आना जाना। करगे। टाळण (६२)-मिटाने की, दूर करने ठेले (१)—धकेल दे, ढकेल दे । की। | ठोडि (५०)-स्थान। टाळिही (३७)-दूर करिये । टाळीया (८१)-दूर किये, मिटा दिये। डंडवत (५९)-दण्डवत् । टाळे (EC)-दूर करता है, मिटाता है। डंडूळ (१००)-एक दैत्य का नाम । टीकाळ (५०)-तिलकधारी, श्रेष्ठ।। टेक (६०, ६५)-प्रण। डरिया (१००)-डर गये। टोघड़े (९६)-गायो के वछडे । डस (८७)-चवाये, काटे । डहिकिया (८७)-ध्वनिमान हुये, वजे । ठकराणी (१५)-ठाकुर की धर्म पत्नी। डाग (६८)-- लाठी । ठग (७३)-ठगने वाला, धूर्त । डाण (९६)-दण्ड ।
SR No.010757
Book TitlePirdan Lalas Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages247
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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