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________________ [ ८ ] आराध (२३, २६ )-आराधना, । आहुडिया (६५)-भिड़े, युद्ध किया। प्रार्थना । पाहुडे (६६, ८६)-भिडते हैं । आराधा (२१)-प्रार्थनाएं। आराधियो (३४)-ग्राराधना की। इन्द (६, ३६, ४३)-इन्द्र। आराधी (२१) आराधना की। इन्दजीत (५७, ५२)-इन्द्र को जीतने आराध (६७)-पाराधना करता है। वाला रावणपुत्र महावली पाराहिया (८८)-पाराधना की। मेघनाद, इन्द्रजीत । श्राराहै (२६)-आराधना करते हैं। इन्दतणा (५७)-इन्द्र के । धाराह्यो (३)—ाराधना की। इन्दरा (७२, ७८, ८७)-- इन्द्र का। पारोगिज (१७)-भोजन कीजिये। | इन्दर (६५)- इन्द्र । आलम (६, १०, ७१)-ससार, इन्दि (२८, ४३, ४६,७८)-इन्द्र । दुनिया, विश्व । | इन्द्र (८३)-देवराज, इन्द्र । ११, ८६, ६०)-ईश्वर, प्रभु।। इम्बरीक (२)-सूर्यवशी एक पौराणिक आलमडा (१४)-ईश्वर, आलम । राजा, अम्बरीप। पालमा ८४, ६१, ६६)-ईश्वर । इम्विरीक (४४) अयोध्या का एक सूर्य पालमौ (९१)--ईश्वर । वंशी राजा, अम्बरीप । आळा (९६) के इ मिया (१६)-उमा। प्रालिमसाह (१०३)-शिव। इ हि (८५)-यही। श्रालेझि (५५)-विचार । इ (१००) ही, निश्चयार्थ सूचक आवास (३६)-निवास। अव्यय, ही। आवि (५६)-पाकर। इआर (१४)-इनके । आविस्य (१८)-पायेंगे। इग्यारसि (१०२)-एकादशी। आविस्य (१८, ६६)-आयेंगे। इण (५३, १०२)-इस । प्रावी (११)-आई। इणि (४२, ६७, ७५, ७७, ८२)-इस । (१०२)-आई। इणि परि (२३)-इस पर। पास (२३, ३६, ३७, ६४)-आशा। इरिगरौ (११, ७१)-इसका । प्रासरौ (१०)--आश्रय, सहारा। इतरा (१०,५०)-इतने । आहरणो (७७)-मार डालता है, इतरी (२०, ३६)-इतरी । मारता है। इतरौ (३६, ४०)-इतना।
SR No.010757
Book TitlePirdan Lalas Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages247
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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