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________________ पीरदान-लाळस-ग्रन्थावली अनुक्रमणिका cont शब्द-कोष अकलर (६०, ६१, ६२)-देखो 'अरिया', अक्रूर, श्वफलक अंकुर (६२)-अक्रूर। अंत (३६)नाश। और गोदिनी का पुत्र एक यादव । अंवर ( ४७ )-पासमान । अंवरीप (६६)-राजा अम्बरीप। अकरूरि (६०)-देखो 'अरिया'। यह सूर्यवंशी राजा अकल (७१)-व्याकुल ! इक्ष्वाकु की २८ वी अकलि (१००)-अक्ल, बुद्धि । पीढी मे हुआ था। अकाज ( ६६)-१ न किया जा सके यह परम वैष्णव ऐसा महान् और कठिन कार्य, था अत इसकी | २-विना कारण । रक्षार्थ विष्णु के | अकिरिता (२७, ३८, ४२ )-अकर्ता चक्र ने दुर्वासा | अक्रम ( ३७, ५६, ७१ )-अकर्म, ऋषि का पीछा पाप, दुष्कृत्य। किया था। अरिया (६०)-अकूर । एक अंम्हाना (६६)- मुझको, हमे। । यादव का नाम, लोक प्रसिद्धि अई ( ३६, ४५, ६० )-अहो, अरे । के अनुसार यह श्रीकृष्ण के अईयो ( ३५, ४५, १०२) -अरे । पिता वसुदेव के भाई थे। अकरम ( २३, ४६, ६६)-अकर्म, कंस की सभा मे असम्मानित पाप कर्म, दुष्कृत्य । होकर रहने वाले व्यक्तियो - अकरमी (४१)-प्रकर्मी । मे इनका भी नाम है । परन्तु
SR No.010757
Book TitlePirdan Lalas Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages247
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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