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________________ परिशिष्ट १ ३१ परमेसर पुराण के छूटे हुए पद्य पद्य सं० ६१ के बाद साधा माही सोहियो, प्रासागिरि तू आज । वड हथ सोढा वैरिसी, जोई वारठ जसराज-६२ पद्य सं०१०१ की १ लाईन के बाद पुरी दमोदर पीर नां, त्रीकम पारि उतारि-१०४ वीरौ - सचियो वीर वर, तमण हरै ना तारि। सुदरि जेठी सारिखें, मलिस जमै मंझारि-१०५. पद्य सं० १०६ के बाद भोळी गति रा भाईया, अलख पधारे आज । मिलका घर वे सामीया, सेसा ना सुभराज-११० गोसांई साई गहन, तखति वैसि तुड़िवाण । काइमि राजा न्याउ करि, राजि वहा रहमाण-१११ पद्य सं० १०६ के बाद गति मा आपो गोविंदौ, दईतां रौ घरि दुक्ख । बांभण पीपळ ₹ वहत, सुरहि घेनरी सुख-११४ पद्य सं० ११३ के बाद कितरी.................." या, कहि भुनां करतार । नर हर हुँ स... .. ... " नही, अइयो पिथ अवतार-११६ ते पहिळादौ तारियो, असख वार अपरंम । प्रथला दइत पछाड़िया, कान्हड़ तणा करंम-१२०
SR No.010757
Book TitlePirdan Lalas Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages247
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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