SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 123
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [ ९५ ] गीत लालस पीरदांन रो कहियो। साहिब नां जोड़ि घणं गुण सखरा, सारिव.री...:."साचि । बांभण देव तणौ तू वारट, वाम · · तणौ जस वाचि।। सूरति खूब वणी कासिपिसुत, वेद चियाएइ वाणी वाह। " इसी भाति सा आज आतिमी, आवै बैंळि रे द्वारि अलाह ॥२॥ बळि राजा छळ्यिो बहनामी, निबिळे से दोइ ब्रिख नाखि । एक कीये ते इ दरै ऊपर, एक सुकर री काढी आखि ॥३॥ अति रीझाइ अम्हारा आतमि, गाइ रे गाइ वामण रा गीत । वप वैराट सरीखो वांमण, पीरिया करि वांमण सा प्रीत ॥४ा गीत पीरदान रो कहयो। बहनामी पाप निमो सिधि वाबा, सुकर नही चत्रभुत्र ससमाथा ॥ भगति दिवारि भरथरा भाई, नाम लिवारि हिमै जगनाथ ॥१॥ जगपति कुण थारी गति जारण, अकलि तुहारी एक अनेक । जुध बाहिरी जगत सहि जीती, तू राखे भगता री टेक ॥२॥ दळिदि कबीर तरणी ते दहियो वसियौ भगत सरग रै बीच । चौर कांइ भगता रै चडियो, खाधो काइ करमा रो खीच ॥३॥ सतजुग मां मिळियो सिगळा ना, कळिजुग माहि सुधारण काज । गोविंद तू तूठी गिनका ना, मीरा नामि लियो महाराज ॥४॥ समपण सरव उड़ीसा सामी, वाहर हो वाहर ब्रिजराज । बुध अवतार पीरियो बारट, सजिया सो कीजै सिरताज ||
SR No.010757
Book TitlePirdan Lalas Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages247
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy