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________________ तू हुश्री दास ईसर तणी, मनछा वाछा दोष दहि । किसन रा पाव भेटण करे, गुर ईसर रा ग्यान ग्रहि ।।१७६|| ग्यान चरित छै अगम, नाग देवता न जाणं । कितर वरसे किसन, जोड ब्रह्मा क्ये जाणे। कितरी छ करतार, कही हिव करिसे कासू। लाछ न जाणे लखण, नमो निरकार निरासू । पीरदास अम दाखै प्रभु, कूडै काल्है काँकनां । रिणछोड़ राय हो राघवा, रीझ समापे राकनां ।।१७७॥ रांक सरिस दे रीझ, अखिल काइ खीज करै अति । बडो विहळ हूँ दुरी, पीर सा रीस किसी पति । भगत वछळ दे भगति, भगति समपी हू मामी। रात दीह रहमारण, घरणी समरी घरानांमी । बैकुठ न मागा लछिवर राज न मांगा इ दरा। मांगीयो दान दे मूझ ना, भगति समापे भूवरा ॥१७८।। भूधर नमो भगति, करै सुर जेठ कमाळी। भूधर नमो भगति, प्रथम अति करै पचाळी। भूधर नमो भगति, भरथ सत्रघन री भारी। भूघर नमो भगति, प्रघळ पहिळाद पियारी। करतार कोयडो कियो, दईव निमो तू दाव ना। पीरदास नमो परमेस ना, वसुधा नमो वरणाव नां ॥१७॥ वसुधा नमो वणाव, नमो ब्रह्मांड तणो वप । सूरज ससिहर नमो, तूझ वासदे नमो तप । नमो वाण चत्र खांण, नमो बैकुठ वरणाणी। नागदेव दधि नमो, नमो परमेसर प्राणी। महाराज तूझ माया नमो, नमो नमो तु हीज नमो। करतार पार जारण कमण, नमो नमो नरहर नमो
SR No.010757
Book TitlePirdan Lalas Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages247
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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