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________________ १५० जिनराजरि-कृति-कुसुमांजलि भार मूई दसमास रे कान्हइया लाल || रोतउ मइ राख्यउ नही कान्हइया, पालगडइ पोढाडि रे कान्हइयालाल । हालरीयइ देवा तरणी कान्हइया, ___ मो मन रहिय रूहाडि रे कान्हइया लाल ॥१०॥है. देखी आमण दू मणा कान्हइया, हियड़ा प्रागलि चाँपिरे कान्हइया लाल । फाल्हे वाल्हे नान्हडउ. कान्हइया, मइ न मनायउ प्रांप रे कान्हइया लाल ||११||हुँ। प्राइउ माडि न दुहवी कान्हइया, मुझ नइ माहरइ पेट रे कान्हइया लोल । गांमो हासइ मिसइ कान्हइया, मइ कईयइ न पपेट रे कान्हइया लाल ॥१२॥हुँ० प्रागण न करावी थड़ी कान्हइया, . ___ आँगुलियइ वलगाइ रे कान्हइया लाल । पंग मांड्या लाया नहीं कान्हइया, __ ते जामिणं न कहाइ रे कान्हइया लाल ||१३||हुँ। साही साही सांभली कान्हइया, वेऊ बांह पसारि रे कान्हइयालाल । जायउ दोडि मिल्यउ नही कान्हइया, ते दोभागिणि नारि रे कान्हइया लाल ॥१४॥हुँ. हाऊ वइठउ बारगइ* कान्हइया, मागलि मा मत जाइ रे कान्हइया लाल । कहथउ कोनइx कीकीयउ, हूंस रही मन मॉहि रे कान्हइया लोल ॥१५॥हुँ० रोवाडयउ किणहो किमइ कान्हइया, मइ सतोषण काज रे कान्हइया लाल । *विहा xफो नहीं किये, के नही को कियो
SR No.010756
Book TitleJinrajsuri Krut Kusumanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1961
Total Pages335
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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