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________________ १४३. पश्चाताप ३ पाली प्रीत की पतयाँ हम न बची १०५ १४४. साई नाम संभारो भव भ्रमण' ३ श्राली मत आपउ परवसि पारइ १०५ १४५. प्रात्म प्रबोध ३ हिलि मिलि साहिब कउ जस वाचउ १०६ १४६. झूठी दिलासा ३ बउरे मास बरस हुँ वउर १०६ १४७. प्रात्म प्रवोध, सुख-दुख ३ र जीउ काहइ कु पचताबइ १०७ १४८, मन शिक्षा, घडी मे घडियाल ३ मन र छोरी माया जाल १०७ १४६. अस्थिर जग, श्वास का विश्वास ? ३ कइसउ सास कउ बेसास १०७ १५०. कोई जामिन नही ३ रे जीब काहइ करत गुमान १०८ १५१. कामिन गीतम् ___ मदन का तौर ३ अव हइ मदन नृपति कउ जोरो १०८ १५२. भ्रम-भ्रमण,भ्रम मे भूला ३ अपनउ रूप न भाप लहइरी १०८ १५३. धर्म मर्म, परम पुरुष कुरण पावत ? ३ कऊरण धरम कउ मरम लहइरी १०९ १५४. काल का हेरा, ___ममतो निवारण ३ रे मन मूढ म कहि गृह मेरउ ११० १५५ परदेशी किसके वश ? जकडी गीत ७ उण मीत परदेसी बिना मोहि ११० १५६ श्रातम काया गीत ७ सुणि बहिनी प्रिउड़उ परदेशी १११ १५७. देह गर्व परिहार, आखिर छार है ३ इया देही कउ गरव न कीजइ ११२ (ख)
SR No.010756
Book TitleJinrajsuri Krut Kusumanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1961
Total Pages335
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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