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________________ १०६. पुनः हनुमत वाक्यं रामचंद्र प्रति ३ जउ पइ होवत राम रजारी ८७ ११०. मदोदरी वाक्यम् ३ ग्राज पिउ सोवत रयरिण गई ८७ १११. रावण प्रति सीता वाक्यम् ३ हरि कउ नाम लइ दसकंध ८८ ११२. श्रहनुम त प्रति . . सीता वाक्यम् ३ आगइ आइ ठाढउ रहयउ वनचर १८ ११३. विभीषण वाक्यम् ३ कहत अइसी' भाति विभीषण भ्रात ८८ ११४. पुनः विभीषण वाक्यम् ३ निपट हठ झालि रहयउ बेकाम CE आत्म-प्रवोधक गौत ११५. मोह बलवंत गीतम् ७ मोह महा बलवंत ८६ ११६. वैराग्य गीत ७ सुख लोभी प्राणी साँभलउ जी ह. ११७. प चेन्द्रिय गीत ७ सुर नर किन्नर राय आज्ञा हो ६१ ११८. निंदावारक गीत ७ सुणहु हमारी सीख सयाणे ६२ ११६. आत्मशिक्षा (विणजारा ) गीत 'विणजारा रे वालंभ सुरिण ६३ १२०. आत्मशिक्षा गीत ५ इक काया अरु कामिनी परदेसी रे ६४ १२१. प्रात्मशिक्षा गीत ३ जीवन मेरे यहु तेरउकउण विसेस ६५ १२२. सीखामण गती ७ घर छोड़ि परदेसि भमइ ६६ १२३. जकड़ी गीत ३ मेरउ नाह निहेरउ १२५. आत्म-प्रबोध जकडी) गीत ३ हमारइ माई कत दिसावर कीनउ ६७ १२५. आत्म प्रीतम गीत ३ यव तुम्ह ल्यावउ माई री १७ (ऐ)
SR No.010756
Book TitleJinrajsuri Krut Kusumanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1961
Total Pages335
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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