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________________ ३६. श्री व उधर जिन गीतम ५ एक सबल मनउ धोखउ टल्यउ ४१ ३७. श्री चंद्रानन जिनगीतम् ५ समाचारी जूजूई रे २५ ३८. श्री चंद्रवाहु जिनगीतम् ५ जोवउ म्हारी आई इण दिसि चालतउ हे २५ १९. श्री भुजंगम जिन गीतम ५ सामि भुजंगम ताहरउ ४० श्री नेमि जिनगीतम ५ नेमि प्रभु माहरी वीनती जी २६ ४१. श्री ईश्वर जिन गीतम ५ ईसर जिन वइरोगियउ ४२. श्री वीरसेन जिन __ गीतम ५ मुझ नइ हो दरसरण न्यया न तू दीयइ हो २७ ४३. श्री देवजस जिनगीतम् ५ सईमुख साहिब नई मिल्या २८ ४४. श्री महाभद्र जिन गोतम ५ लहि मानव अवतार ४५. श्री पषितवीर्य जिन गीतम ५ मिलि भावउ रे मिलि आवउ रे २६ ४६. श्री वीस विहरमारण जिग गीतमः ५ वीस जिणेसर जगि जयवंता ३० श्री ऋषभादि तीर्थकर गीत ४७. श्री ऋषभदेव बाल सीला स्तवन ११ मन मोहन महिमानिलउ रे ३१ ४८. श्री ऋषभ जिनकर सवाद ८ रिषभ जिन निरसन रान विहारी ३२ ४६. श्री विमलाचल आदीश्वर स्तवन ११ श्री विमलाचल' सिरतलउ (इ)
SR No.010756
Book TitleJinrajsuri Krut Kusumanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1961
Total Pages335
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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