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________________ ( ३४ ) ६ राजा (६) राजा ग्रादित्य निम प्रतापियड, सिह जिम सौर्य सयुक्त, इस जिम उभय पक्ष विशुद्ध, हार जिम कामिनी वल्लभु चद्रमा जिम कलावतु, पट जिम गुणवंतु, घनट जिम श्रीमतु, हस्ति निम दानवंतु, मकरध्वज जिम रूपवतु । ७ राजा (७) याचक लोकु कामधेनु, उग्र विग्राहक । राज नभा चक्रवत्तिं, नीति विधातु । साहसैक स्यातु, जेह प्रसन्नु तह धनदावतार, जेह प्रति कुपितु | नेह कुपितातावतार, टोप दरिद्र । गुण द्रव्य ईश्वरू, परदोषान्वेषण जात्यन्ध | तत्त्वावलोक्न सहस्राक्ष, परदोपोदघाटन मूक | सद्गुण ग्रहण व्यवदूक, एव विध राजा || १०७|| ( मु० ) ८ राजा (८) जमु राय तराइ खड्गि राज लक्ष्मी वसइ । सरस्वती जिवाग्रि वसई, वचनालापि अमृत वसइ | महाजन हुई गौरव टरिसइ, सेवकजन मन सतोस । डीट एंड करइ, ठउ दखि हरइ । रूठरं सर्वस्व अपहरई, अन्याय तरणी बात परिहरन् । कीत्ति कामिनी काम, देव गुरू मेल्दी कुहिदुइ सिर न नामइ । मधुर प्रसन्न मुख, इद्र पटवो तउ सुख । परनारी सहोदर, दान सन्मान सढाटर | ऊचित्य चतुर, प्रतिपन्न वाचा सार । सर्वजन श्राधार, पंडित जन श्रृगार । स्खलित कीति, सूर वीर विक्रान्त | परम स्कूतिं उदार कार मूर्ति | पाप नि क्दन, सजनानंदन । एवं विध राजा । उड़वातान् प्रति रोपयन कुसुमिता विन्चन लघुन वर्द्धयन ज्ञान कटकि नो बहिर्नियमयन् विश्लेपयन् सहतान । }
SR No.010755
Book TitleSabha Shrungar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherNagri Pracharini Sabha Kashi
Publication Year1963
Total Pages413
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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