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________________ ( ३३ ) गय घड़ विभाड, चोर चरड दुफाड । नीसाण निसक, रिपु राय तारामयंक । महारिपु कीर्तिलकार हनुमंत, घणघोर बल घूमंत । डाकीया ऊतारण होप, धयवड घय टोप । इत्यादि । ३ राजा वणन (३) विक्रमाकान्त भूतल, शक्तित्रय भासित रिपुबल । प्रजापति जनक जननी समानं, सेवक कल्पद्रुमोपमान । युधिष्ठिर जिम वचन प्रतिष्टु, श्रीराम जिम न्याय निठु । विष्णु जिम प्रजापालन व्रत, तरुणादित्य जिम प्रौढ प्रताप । समुद्र जिम अनाकलनीय स्वरूप, एहवउ भूप || ४ राजा (४) निज विक्रमाक्रान्त क्षोणि मडल, शौर्य श्री वदनारविन्द प्रद्योतन । सकल महीपाल लीला लालितुः, रिपु कुल काल केतु । सरणागत वन पनर, पचम लोकपाल मुद्रावतार | हसउ राजा । (पु० अ०) सीमाल सवे वश वत्तिया किया, गढ़ सवे ढालिया । गढवई सवे निर्धाटिया, दुर्ग सवे आपणा किया । समुद्र पर्यन्त श्राण फेरी, इणपरि एकत्र निःकटकु राज्य परिपालइ । (पु० अ०) ५ राजा (५) महाशासनु, अरडक मल्लु, जग झंपणु, प्रताप लकेश्वर पर राष्ट्रीक हृदय शल्यु। जसु तणइ प्रार्थित प्राण भिक्षा हुंता राय अोलगइ केइ हाथि दर्पण लियइ अोलगइ केइ पुण स्त्रीवेश मुडित कूर्च हुता श्रोलगइ । केइ दाते आगलि लेइ अोलगइ । केइ वेला बाढी ओलगइ। केइ कोढ कुहाड़इ अोलगइ । केइ लोटीगणे। बिहु नाकेइ हाथु खालइ लोटइ। इसउ प्रतापी राजा। पु० अ०
SR No.010755
Book TitleSabha Shrungar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherNagri Pracharini Sabha Kashi
Publication Year1963
Total Pages413
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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