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________________ ( २६ ) जिहा हस सरलइ, सारस करलई। कपिजल कलई, वृक्ष ना पान चल चलइ । राजहस रमई, भ्रमर भमइं। चकोर चक्रवाक मयूर कूजइ, जलकेलि तणा मनोरथ पूजई । महा काय पोलि, पावड़ियारा तणी अोलि । निर्मल जल कमनीय, विपुल पालि रमणीय । पथिक जनाधार, वृक्ष परपरा सार । कल्लोल माला मनोहर, एवं विध सरोवर । सरस्या भोगलयंभोग जाज्याम्बुज षट् पराः। हस चक्राटयास्तीरोद्यान श्री पाथ केलयः ।। (मु०) ६० सरोवर-वर्णन (३) तलावसखरी एकल्लोल, देखोने समुद्र नी पडे भोल ॥ 'पंखोनी वेटीग्रोल, उछलेइ कल्लोल.॥ दोसे अमोल, घणाइक रंगरोल ॥ धणाहक वायरना झंकोल, भला पगथीयाना वोल ॥ घणीक पंखीयानी कलबल, घणीइक हलफल || धोबी धोई मलमल, भला विकस्था कमल ॥ पाणी पिण अमल, भला परिमल || ख्याल देखीइ मुख पखालीइं पथी पाणोले पीइछै ।। झारी भरी लिजीइंछ, हाथोहाथ दीइछे ।। मसकते भरीइछै, भैसा उपरि धरीइ छै॥ मोजकरीइं छे बाभण न्हावे छै॥ धोतीया ते ल्यावे छै, ईश्वर ते व्यावेइ छै॥ सहसनाम ते गिणे छ, सरस्वती पाठवद तैभणे छ । वेद वाचे छई, प्रभाति ख्यालते माचे छइ ॥ सहुकोई राचे छै॥ रसोई जिमीइं, श्राखो दिन तोज रमीइं ।। - बीजे स्युं भमोइ ।। १ पसी।
SR No.010755
Book TitleSabha Shrungar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherNagri Pracharini Sabha Kashi
Publication Year1963
Total Pages413
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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