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________________ प्रति-परिचय सभाशृंगार नं० १ संकेत स्पष्टीकरण ( स० १)सभा श्रृंगार नं०१-इसकी दो पूर्ण और दो अपूर्ण, कुल चार प्रतियाँ प्राप्त हुई, जिनका परिचय (१) विनयधर्मसूरि ज्ञानमंदिर, आगरा की प्रति । शुद्ध । पत्र २ से १६, पक्ति १५, अक्षर ४८ से ५०, ले० १७वीं का पूर्वार्द्ध । अत-इति सभा शृंगार वचन चातुरी ग्रथ समाप्तः । (२) पाटोदी दि० मंदिर, जयपुरपत्र २०, पक्ति १७ ाक्षर ५२ लेखन स० १६७१ वर्षे बाह मासे शुक्ल पक्षे ३ दीतवार । लेखक साह दासू सुतेन । मा. सारंगपुर वास्तव्य । (३) केशरियाजी मदिरस्थ खरतरगच्छ भंडार, जोधपुर । डा. १५, पोथी १६६, पत्र १८, पं० १५, अक्षर ४८, वर्णन १५८ वां चालू, फिर यपूर्ण । शुद्ध । लेखन काल १७ वीं शती। प्रारम्भ के पत्र में पीछे से लिखा गया है 'व्याख्यान पद्धति वचनिका।' (४) (अ० पु० ) मुनि पुण्यविजयजी सग्रहपत्र ६ से १५, पंक्ति १७ अक्षर ६५ (यादि के ५ पत्र नहीं) लेखन काल १७ वीं शती। अत में-"स्त्री गुणाः ४२" के बाद ग्रंथ का नाम व प्रशस्ति नहीं है। पुरुष की ७२ कला से पूर्व "इत्युपदेश लेशः समाप्तः मिति भद्र शुभं भवतु ॥२॥" लिखा है अतः वही समाप्ति संभव है। मुनिजी ने प्रति के कवर पर 'पदार्थ वर्णनां' नाम लिखा है। सभा शृंगार नं०२ (सं० २ ) इसकी एक ही प्रति मुनि पुण्यविजयजी से प्राप्त हुई। इसके वर्णन अन्यों से भिन्न व मौलिक है। मगलाचरण श्लोक में इसका नाम "वर्णन सार" दिया है।
SR No.010755
Book TitleSabha Shrungar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherNagri Pracharini Sabha Kashi
Publication Year1963
Total Pages413
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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