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________________ ( १० ) 'समा शृंगार उस वर्णकसाहित्य की एक बहुमूल्य कड़ी है जो संस्कृत, प्राकृत, अपनश एवं देशी भाषाओं में अपनी एक दीर्घ परंपरा बनाए हुए है । डा. वासुदेवशरण अग्रवाल ने कई उदाहरण देकर बताया है कि इस प्रकार के वर्णकसाहित्य के प्रमाण प्राचीन काल से ही उपलब्ध होने लगते हैं।' हिंदोसाहित्य का विद्यार्थी पृथ्वीराजरासो, पद्मावत, सूरसागर श्रादि ग्रंथों की वर्णनसूचियों से तो परिचित है पर अभी वर्णकसाहित्य की इस विशाल पृष्ठभूमि की ओर विद्वानों का ध्यान कम गया है। श्री नाहटा जी ने बड़े श्रम से जो वर्णन संग्रह तैयार कर हिंदीसाहित्य के विद्वानों के सामने प्रस्तुत किया है उससे इन नये क्षेत्र में कार्य करने की अन्य विद्वानों की भी प्रेरणा मिलेगी, ऐसी आशा है। --चंद्रगदान चारण भारतीय विद्यामंदिर शोध प्रतिष्ठान, बीकानेर । 1.हिंदुस्तानी, भाग २१ अंक [जनवरी-मार्च १९६० ] में 'वर्णकसाहित्य' शीर्षक लेन ।
SR No.010755
Book TitleSabha Shrungar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherNagri Pracharini Sabha Kashi
Publication Year1963
Total Pages413
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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