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________________ ( २८४ ) पाखलि सालणा तणी पालि, माहि सुगध घृत तणी नालि | बिहु पहुर तणइ कालि, परीसइ अाखडियालि नारि । - (६६ जो) १० श्रेष्ठ भोजन लेहि दूलेसरा चोखा तणउ पीठु सीघरउली खाड तण उ टलु पारिहेटि महिसिं 'तणउ दूधु एल तज तमालपत्र करिड चमचमा काचइ कपूरि करि मगमगाय मान इसा वरसोला जहि आस्वाद खास तणउं उद्भट नहीं श्लेष्म तणउ प्रकोप नहीं रस तणउ विकारु नहीं आसा नीरोग निर्दोष अमृत घटित, देव निर्मित । (पु, अ.) ११ रसवती वर्णन ऊपलइ मालि, प्रसन्नइ कालि । भला मडप नीपाया, पोइणि ने पाने छाया । केसर कु कुम ना छडा दीधा, मोती ना चुक पूर्या, ऊपरि पंच वर्णा चंद्रया बाधा, अनेक रूपि पाछी परीयछि ना रग साध्या । फूल ना पगर भरथा, अगर ना गध संचरया । प्रधान गादी चाउरि चा कलाणा, बइसणहारा बइठा पातला । सारूया घाट, मेल्हाव्या आगलि पाट । अची आडणी, झलकती कुंडली ऊपरि मेल्हाव्या सुविशाल थाल । वाटा वाटली सुवर्णमइ कचोली । रूपा नी सीप ढूकी, इसी घाति मूकी । जीमणहार किसाछत्रीस लक्षणोपेत अलिकुल कजल श्यामल केश पाश चन्द्रार्ध भाल-स्थल । कामदेव कोदण्डाकृति भ्रूभग । विकसित कमल दल समान लोचन
SR No.010755
Book TitleSabha Shrungar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherNagri Pracharini Sabha Kashi
Publication Year1963
Total Pages413
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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