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________________ ( १०४ ) मिरी तणी ऊगटि, गार तणी सउडि चालत पलेवण, दाघ ज्वर तणि वहिन निसी केवलइ हालाहल विष बडी हुइ तिसि स्त्री ॥ ३८ कुस्त्री (४) कुहाडि ढंड स्त्री बोलती छउड ऊतारह, दृष्टि देखती मनुष्य मारइ | ५ ना माथइ सइ थड फाड, चालती' मुहि फाडइ | नव धाया तिर पाउड, वालि बाबी कुडी श्राहणइ । काशि उडता परखीया गराइ, कुहणी छेहि खान पाउइ । वि पुरुष देखता वाट उठाइ | गाई करत याचा लुवि त्रोड, पग केहिं गाठि छोडइ ! श्राखि हुतरं काजल हरइ, केसि धि शिल घरइ । जीभइ नब छोलs, निष्ठुर वचन बोलइ | जीरा " बोलाविती माथा ना केस ऊभा धायइ । ना चालती अलच्छि जागवी । दुरित वन घनाली, शोक कासार पाली । भव कमल मगली, पाप तोय प्रणाली । विक्ट कपट पेटी, मोह नूपाल चेटी । विषय विष मुजगी, दुःख सारा कृशानी ॥ ८॥ ३६ कुस्त्री (५) जीभ जब छोलह, बोलतु छउड उतारइ | चालनी भूमि फोडई, नव धामा तेर पाडई | बालि बाधी कोडीया हराई, कुहणी छेहि वात्र पाडई | ( पु० अ० ) पग छेडइ गाठि छोडई, साची अलछी मिरी तणी ऊगटी, चालनु पलेव श्रागरण तणी दाह, जूर तणी बहिनी, ( न० १ ) १ नाथ फाटहि मुहि८५ ला ७ जेरी पनी
SR No.010755
Book TitleSabha Shrungar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherNagri Pracharini Sabha Kashi
Publication Year1963
Total Pages413
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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