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________________ (१३) बाहे वलक', श्रागुलि अगुलियक, कटि कंटिका, गलह हार, माथइ मोतीसरि, हृदय सोवन ऊतरी हाथे दोरा, पाए पोलरा, इसे आभरणे बाहरी दोहरी नायका ॥ ( पु० अ.) ३५ कुत्रो (१) काली, काली, कोचरी, काणी, कुरूपी, कुत्सित, कुरुर, काफसरी, काकजघा, कुहाडी, कुलक्षणी, सापिणी, पापिणी, सखिणी, सउखिणी', सवणी, निरगुणी, चचल, चोपडी, कुखेडी, कूबडी, बोबडी, मुकडी, नुबडी, लवडी, सडी, पडी, वली, उछाछली, भूतेछली, चितावली, पागुली, सलीखली, खुली अली, खेलेजाडी, मुल, पाखा चिपडी, या खेवाडी, डीलेजादि, कामकाज माडी, आखेंचूंधी, कानि ऊची, हाथिट्टटी, कानि बुटी, लावा टात, करेरात, नीलज, अकज, छिनाल, टारी, कुतरी, निसनेहो, कुहाड, दुगंध देह, जीभाली, रीसाली, झूटानोली, निद्रवीण, अकुलीण, सेडाली, एहवी न्त्री पाप ये होइ । एहवी स्त्री भला माणसने वरजवी। ( स०३) ३६ कुस्त्री (२) । काली, कुलित, कुहाड़, राड, रीसाली, रोमाली, रोती, चूची, चीपड़ी, सूगाणी, सखिणी, हठीली, सेडाली, हराम जाति, कलेमणी, कुपात्रणी, कुनाति, एहवी झंडी स्त्री पाप नई उटय पामइ प्रति स०३ का पाठ___काली, कुल्लित, कुरूप, कुहाद, कुतरी, गटी, रीसालो, रोमाली, रोतो, चूची, चीपडी, सुगामणी, सखामणी, सोझाली, माजाली, सेडाली, माजरी, हठीली, हरामजादी, झूठा बोली, कलेसणी। ३७ कुस्त्री (३) बोलती हूती छड ऊतारइ, चाट फाडड महा विकरालि, अति अागि झालि सान्त्री अलछि, बोलती सर्वांग सूल उपजावइ २ बल • सौवर्ण ३ हाथै ककण रव झलत्कार, पगें नेवर झात्कार। (म० न०१10 के अतर्गत) । नदिणी २ नुली ३ श्राखे चूची
SR No.010755
Book TitleSabha Shrungar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherNagri Pracharini Sabha Kashi
Publication Year1963
Total Pages413
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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