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________________ (१००) अवर रूप तणी रेख, लावण्य केरउ कसवह कनीयता तणउ भडार, काति केरउ अाधारु पसइ प्रमाण लोचन, जसी कामदेव तणी सोंगी घणुहो त साभमुह, जस जाइलउ हीरउ, तिसी झलकती दत पंक्ति त्रिहु पहटे वहतउ सीमतउ, अति सुकोमल रोमराजि बोलती जिसी अमृत तणीवेलि, वचनि करी पाहण तेई पल्हाल इसी स्त्री ॥ (पु अ०) १. मुखी , शीलवानस्तनी, चद्रमुखीचकोराक्षी, चित्तहरणी, चातुर्यवती, शीलवती सिंहलकी, सुलक्षणी श्यामा, नवागी, नवयौवना, गौरागी, गुणवती, पदमणी, पीनस्तनी, हेनाली, हस्तमुखी, एहवी स्त्री पुण्य नइ योगइ (पामइ ) प्रति स० ३ का पाठ इस प्रकार हैरूपाली, चद्रमुखी, चकोराक्षी, चातुर्यवती, हसगतिगामिनी, चित्तहरणी ( मनहरणी), हसत मुखी, पमिनी, पीनस्तनी, गोरागी, गुणवंती, नवागी, नवयौवना, सिंहलकी, भ्रूहवंकी, शीलवती, सुलक्षणी, पद्मगंधी, सुकोमल शरीरी, पातल पेटी, मोहनगारी, अतिहलवी, नहीं भारी, हेनाली, शील गगेव, मधुरभाषिणी, कोकिलकठी। एहवी स्त्री क्रीड़ा करै छै। ३१ सगर्वा स्त्री (५) हस गति चालती,मयगल जिम माल्हती। कामिनी गर्व भाजती, चद्रकला जिम वाधती । १ शति नभा गार वचन चातुरी ग्रन्थ समाप्त स०१ प्रति, में इसके बाद का पाठ नीचवाला न होकर इस प्रकार हैनुवरणि, सुसची, मुस्त्रणी, सुशील, अनृत वाणी बोलती, पाहण पल्हालती हार्थि कोमली । महजि प्राजली सर्व गुए सपूर्ण । इसी कलत्र महा भागि लाभइ, स्थाने निवास ॥ नोट-१० की दूसरी प्रति मे पाहण के स्थान पहाण और कोमली के स्थान मोकली पाठ है।
SR No.010755
Book TitleSabha Shrungar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherNagri Pracharini Sabha Kashi
Publication Year1963
Total Pages413
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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