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________________ 676 पुटम् प्रमाणवचनम 608| जातेन ब्रह्मणः प्रमाणवचनम् उपैति तोषं उभयोर्भूना 611 ... 606 ऊर्ध्वक्रमेण ...... 596 ततस्तपस्तत तत्र नागासुरा तदन्तरपुटाः 606 605 606 एकाश्रय क्रिया एवं वराह 607 606 602 612 621 608 तदभावे होम तदिलाबृतस्य तद्वदनाधारो तन्त्रभ्रंशे | तम आसीत् | तमोमय. | तरुनगनगर तस्मिन् काले | तस्य स्वरूपैक 617 | तस्यायुता 591 | तान्यातबहूनि | त्रिविधा प्रकृतिः तेषामधश्च 026 603 608 कक्ष्या प्रतिमण्डल कर्कटकाप्रति कलामुहूर्ताः कार्यस्तस्मिन् कालः पचति 'कालं स पचते कालोऽनाद्यन्तो कालोऽस्मिलोक किंचाम्बुदा . किं प्रतिविषयं कुदिनादौ स्मृति कुलालचक्रभ्रमि केचिद्वदन्ति को भवानुग्र 637 637 607 616 582 595 606 617 618| दिव्योषधिरसो देवतापारमा 586 द्वादशमण्डल 589 | द्वौ द्वौ रवीन्दू 596 खस्थं न दृष्टं खेऽयस्कान्ता OK 604 ग्रहणे कमला / ग्रासान्यत्व 606 नन्दनवनस्य न भानुकर नान्याधारस्स्वशक्तयैव नासदासीत् निराधारा भूमिः 582 | नैकस्मिन्नसं .... 600 121 च्यवनो यवनो 585 .... 166 जगदण्डखमध्य
SR No.010754
Book TitleTattvamukta Kalap and Sarvarthasiddhi with Ananddayini and Bhavapraksa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorD Srinivasachar, S Narsimhachar
PublisherD Srinivasachar, S Narsimhachar
Publication Year1933
Total Pages746
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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