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________________ वीरवाण ५४ करता कूक कुराल, आया फरियादू असुर । वीर फरास बडाविया, सुणजो दला सिघाल ॥ ५१ जोइयां मिले जै वार, कथन. दला हूंतां कहै । वेडीगारो राठवड़, मारै सै काय मार ॥ ५२ मुड़ियां ही नह मोस, मोस न वीरम मारियां। काम दलो कह मै कियां, दोजै किण नै दोस ॥ ५३ बै परधान बुलाय, दिस वीरम दापै दलो। अमां रीस न उपजै, षित अंत वैर षुदाय ॥ नाकी छिले निराट, दाष कुल नायक दलो। नर तो नेइ नियापरी, वीरम सू जीवाट ॥ ५५ दलै कथन मुख दीन, कमधज हात कहाड़िया। आप बंट चोथां अमां, तू लै वाटा तीन ॥ ५६ जोइयां रुप जिवार, दाष कुल नायक दलो। वीरम तांसू वाजियां, है जीतां ही हार ॥ . ५७ वीरम सू तिण वार, कहिया परधांनां कथन। आधी वांटे लेइ इल, नर वकवाद निवार ॥ ५८ सूरो कथन सुणेह, काहलियो केहर कली। आयर जांण अग्राजियो, मयंद तरणो सिर मेह ॥ ५६ मन धारे अभमांण, आपे सांमो अोलभा। .. दीसै तू भूलो दला, उण दिन रो अवसांग ॥ ... ६० जगपत जोम जिहाज, कुल जोइयां कतलत करत। देषत नह मेलत दला, ए विसटाला आज ॥ ६१ .
SR No.010752
Book TitleVeervaan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRani Lakshmikumari Chundavat
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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