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________________ वीरवांण सुसती करण समाधकुं बाजा बजवाया। ऊँची. ऊँची ऊछले तंग पार्ष - आया । • नाचण लागी नाच पर रंभ नाच रचाया। ताजण मटकी तोप सालषतांन लगाया ॥ वीरम बदली बीडंग लष जद चावक बाया। भांण तमासो भालबा रथ ढाब रषाया ।। धीब प. तरवारीयां , के भागै काया । भाला भलकै सीस पर सिर ग्रीधां छाया । वीरम हांक वीडंककुं पलट नह पाया ।। जद वीरम मन जाणीयां अब मरणा आया । जद वीरमरै जोइया चहुं फेर फिराया । अला अला उचारकै चढ पैंगा चला। 'जुडिया तेंगा जोइया हुय वीरां हला ॥ . . वीरम मलां वीटीया बाजी गलबला । .: भड बीरम मदुः भिड़े जाए ज़म टीला ॥ वीरमदे जोयां विचे भासै रिण भला। सिंह अचानक सांकडै घड़ कुंजर घला । केहर जाणक कोप कर उठीया गीर टीला । मधु वीरमकुं कहा सुण सांची सला ॥ पला विछाता पालता दिन कढ़ता दला। सो दला अलगा रहा करता रिवमला ।। मिलीया दलमै दानमै मांझी : कर----सला। सामा वीरम सारका बण बैठा · बला ।। कहां कवीला कुटम घर कहां भाई भला । बादुर ढाढी बोलीया नीसांणी गला ।। नला. “सला नीवगै सो . जाणौं अला ॥ -
SR No.010752
Book TitleVeervaan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRani Lakshmikumari Chundavat
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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