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________________ वीरवांण दस हजार रिपीया देऊ, बैंग देऊ दस पोल । आध देऊ सिणली अषी, मदु उरी दे मोल ।। दले घणोही दाषीयो, मदु परी दे मोल। मदु न जाणे मोट मन, राजवीयांरा तोल ।। जका बात जगमालरै, कीधी कीणीयक कांन । आग वलंती ऊपरां, दियो मुराड़ो दान ।। ए वीरमरा आवगा, जोया रहे जरूर । प्रांपांनै न गिणे अवे, मन छाया मगरूर ॥ सोरठो मारै लैसुं माल, साकुर पण लेसुं सरव । जोयां पर जगमाल, रचै चूक उण रातरो ॥ दहा मालणनै नितरी मोहर, दलो दिरातो दान । चूक तणी चरचा चली, आई मालण कांन । जद उण मालण जाणीयो, दले दियो बहु दान । सीलू उंणरो सीलणो, कथ आ घालूं कान ॥ डिगती डिगती डोकरी, पूगी दलै पास । दला चूक तो. पर दुझल, नास सके तो नास.॥ तलवाडै थाणो तठे, सोवै बंदव सात । वीरा थां पर बाजसी, रुक झड़ी अध रात ॥ नीसांणी कोट महेवा छंडीया सुध ले साही बांणा। दलै षान समाध चढ झांफी उपरांणा ।। जांण लंका गढ उपरां हनुमान कुदाणा । सूता बंधव सातकुं जो सैल जगाणां ।। २३ ३
SR No.010752
Book TitleVeervaan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRani Lakshmikumari Chundavat
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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