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________________ 9.. वीरवारण . संखला महाराज को मार डाला । महाराज के भांजे राखसिया सोमा ने राव चूण्डा के पास जाकर पुकार की और कहा जो आप भाटी से मेरे मामा का वैर लेवे तो आपको कन्या व्याह कर एक सौ घोड़े दहेज में दूंगा ! रात चूण्डा चढ़ चला और पूगल के पास जाकर राणगदे को मारा और उसका माल लूटकर नागोर लाया, राव चूण्डा के प्रधान स.वदू भाटी और ऊना राठौरं थे। .. राव चूण्डा की एक राणी मोहील के पुत्र जन्मा, नाम कान्हा रक्खा । मोहिलाणी ने बालक को घूटी न.दी, यह खबर गव को हुई । उसने जाकर रानी से पूछा कि कुवर को घूटी न देने का क्या कारण है । वह बोली कि जो रणमल को राज से निकालो तो घूटी दूं। राव ने रणमल को बुलाकर कहा बेटा तू तो सगृत है, पिता की आज्ञा मानना पुत्र का धर्म है । रणमल बोला-पिताजी, यह राज कान्हा को दीजिए । मुझे इससे कुछ काम नहीं । ऐसा कह पिता के चरण छूकर वहां से चल निकला और सोजत जा रहा । (रणमल को :, निकालने का दूसरा कारण वहीं पर ऐसा लिखा है ) भाटी राव राणगदे को जब राव चूण्डा • ने मारा तो राणगदे के पुत्र ने भाटियों को इकट्ठा किया और फिर सुलतान के बादशाही । सूबेदार के पास. गया, अपने बाप का बैर लेने के वास्ते वह मुसलमान हो गया, और अपनी सहायता पर मुलतान तुर्क सेना ले नागोर आया । उस वक्त राव चूण्डा ने अपने बेटे रणमल को कहां कि तू बाहर कहीं चला जा, क्योंकि तू तेजस्वी है सो मेरा बैर लेने में समर्थ होगा । जो राजपूत तेरे साथ जाते हैं उनको सदा प्रसन्न रखना, उनका दिल कभी मत दु:ख.ना । जेठी घोड़ा सिरवरा उगमणोत को देना । मैंने कान्हा को टीका देना कहा है जो इसको (काहूगांव) खेजड़े ले जाकर तिलक दिया जावेगा।.. ..... राव की राणी मोहिलाणी ने एक दिन घत की भरी हुई एक गाड़ी पाती देखी, अपनी दासी भेज.खबर मंगवाई कि क्या रावजी के कोई विवाह है जो रोज इतना घत आता है । दासी ने आकर कहा बाईजी विवाह तो कोई नहीं यह घत तो रावजी के रसोडें के खर्च के लिए है जहां बारह मण रोज खर्च होता है । मोहिलाणी बोली यह त लूटता है । रावजी से कहा कि रसोड़े का प्रबन्ध मुझको सौंपिए । राव ने स्वीकाग, राणी पांच सेर घृत . में रोज काम चलाने लगी और गवजी को कहा कि मैंने आपका बहुत फायदा किया है, परन्तु इस कार्यवाही से सब राजपूत अप्रसन्न हो गये थे इसलिए बहुत से रणमल के . साथ चल दिये। ... ...... . .. जब नागोर पर भाटी व तुर्क चढ़ आये तो राव चूण्डा भी सजकर मुकाबले के वास्ते . गढ़ के बाहर निकला, युद्ध हुआ और सात आदमियों सहित राव यूण्डा खेत रहा । भाटियों ने राव का सिर काटकर बर्छ की नोक पर धग और उस चर्च को भूमि में गाड़कर . . राव के मस्तक को ऊपर रक्खा और मसखरी के तौर पर भाटी अा अाकर उसके सामने । यह कहते हए सिर झुकाने लगे कि “राव चूण्डाजी जुहार।" तब राव कैलण वहां आया । , वह बड़ा शकुनी था, कहने लगा-ठाकुरो, सुनो अागे को भाटी राठौड़ों के चाकर होंगे और उन्हें तसलीम करेंगे। . .. -
SR No.010752
Book TitleVeervaan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRani Lakshmikumari Chundavat
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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