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________________ वीरवाण SIG <MGAR um - : " . दलै भेज परधान कू निसाणी ४३ तुम हिन्दू गुना करो . . " " माम धणियां हंदे आय परधानसू अप्रियो दले अरु देपालक वीरम न्याय न हल्लही पोसै फेलं षाजरू दोनू तरफारों दलो. दूहा ११२ • झलिया रहे न जोइया . दिन अगै पसरादियै 'निसाणी ४५ माणस पनरै मारिया • झरता हत्तां जोइया कूकाऊ आया " " .. सो सारा साहियांण मैं अधी ऊच श्रापां. दुई बंधी अपणाया " " दस हजार चढियां दुझल निसाणी लषवेरे ऊपर लहर य देपाले अघियो सुनो। दला लुणियांणी वास चोवीस वसाविया मुदै जवाई मारियो . दूहा १२३ सूप परी साहियांण दुसह वचन कहिया दलै १२५ तिण समीपै .पूगल तणो ... , .. बूकणरै दोय बेटियां ... नीसाणी सो मांगी देवराज यू रांनल मुझकू राजवण कहियो जद कसमीर दे हूँ पणां सू हिंदवां .' सो कुण -हिदू हम सूर्ण जिसकूपरणाले. • परणां सू सगंपण करै . जद पालो कहियो जसू M GF < wwwww... m . " १० .
SR No.010752
Book TitleVeervaan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRani Lakshmikumari Chundavat
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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