SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 87
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ स्मरण कला है. ७३ __ लो और उनके साथ उस नाम को जोड दो, जैसे कि सुलोचना जरा रूपवाली है, तो- - रूप-लोचन-लोचना-सुलोचना, रश्मिका गोल मुंह वाली है, तो- . .. न गोल मुख-चन्द्र-चन्द्रिका-रश्मि - रश्मिक भारती तूफानी है, तो- '' तूफान-सागर-भरती-भारती अब कल्पना करो कि तुम यात्रा कर रहे हो उसमे तीत प्रवासियो के साथ भेंट होती है । उनमे एक का नाम अनगप्पा, दूसरे का नाम फणीन्द्रनाथ और तीसरे का नाम जफरुल्ला खाँ है तो वहाँ भी तुम इस सिद्धान्त को उपयोग मे ले सकते हो। अनगप्पा दक्षिण प्रान्त का है, काला है, तो व्यग मे उसे अनग (कामदेव) कहकर उसे गप मारते हुए केल्पा जा सकता है और इस प्रकार श्याम-अनग-अनगप्पा-अनगप्पा का नाम याद रखा जा सकता है। ___ फणीन्द्रनाथ बगाली है. अच्छा गाने वाला है, तो सगीत, मुरली-फरणी-फणीन्द्र-फरणीन्द्रनाथ इस तरह यह नाम भी याद रखा जा सकता है। जफरुल्ला खान क्रोधी आदमी है, तो उसकी पहचान जब्बर मान लो और निम्नोक्त सकलना करो :जब्बर उल्का खान, जफ्फर उल्का खान, जफर-उल्लाखान । इस प्रकार ज्ञात और अज्ञात नाम, पशु-पक्षियो के नाम और घटनाएँ याद रखी जा सकती है, परन्तु यह साहचर्य कोई विशिष्ट प्रकार का होना चाहिए तभी मन मे स्फुरित है। इसलिए उसके प्रकार कितने है, इसे जानने की आवश्यकता है। ।.. साहचर्य के विशिष्ट प्रकार छह है- . . (१) समानता (२) विरुद्धता (३).तादात्म्य (४) निकटता (५) कार्य भाव (६) कारण भाव (१) समानता-कितनी ही वस्तुएँ प्राकार- समानता के द्वारा याद रह जाती है। जैसे कि-नारगी और गेंद, ढोल और पीपा, डिब्बा और पेटी।
SR No.010740
Book TitleSmarankala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Mohanlalmuni
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1980
Total Pages293
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy