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________________ स्मरण कला ६६ ६. संयोजन में बहुत भूले करने वाला, अच्छे शब्दो का सूक्ष्मता से अध्ययन कर, कल्पना मे उन्हे प्रत्यक्ष करता रहे नो भूल सुधारने मे समर्थ हो सकता है। ७. जो-जो कार्य करने हो, उनका चित्र कल्पना के द्वारा मन मे अकित करने पर उन कार्मों की स्मृति बराबर बनी रहती है। उदाहरण के तौर पर (१) एक मनुष्य को वाजार मे जाकर अमुक-अमुक वस्तुएं लानी है। (२) लिखा हुआ पत्र डाक मे डालना है और (३) वापिस आते समय भाषण देना है। अब वह पहले से कल्पना के द्वारा मन मे चित्र बनाये कि “मैं बाजार मे जा रहा हू, वहाँ पहुँच कर वस्तुएं खरीद रहा हूँ, उनमे क, ख, ग, घ आदि अमुक वस्तुएं खरीदता हूँ। फिर वापस आते रास्ते में डाक पेटी मे पत्र डाल रहा हूँ, उसके बाद सभास्थल जाकर अमुक प्रकार से भाषण दे रहा हू तो उनमे एक भी वस्तु को वह भूलेगा नहीं। वस्तुओ को स्मृति मे रखने के लिए इस शक्ति का खास उपयोग किस प्रकार से हो सकता है, यह आगे समझाऊँगा। मंगलाकाक्षी धी० मनन मन से निरीक्षण करने की आदत, अभ्यास करने की पद्धति, दृश्य पदार्थ, परिचित पदार्थ, प्रारम्भ मे सामान्य विकास भी विशेष अभ्यास से सिद्ध, अदृश्य पदार्थों अथवा भावों की कल्पना किस प्रकार से करना? क्रिया, घटना, निर्माण की कल्पना, क्रिकेट, भापण, टाइपिंग, शार्ट हैण्ड, लिपि और संयोजन को सुधारने मे उसका उपयोग । ।।।
SR No.010740
Book TitleSmarankala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Mohanlalmuni
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1980
Total Pages293
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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