SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 75
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ स्मरण कला १६३ घण्टा, पचास हजार और मील, ये अपने अनुभव मे पृथक-पृथक रूप से आई हुई वस्तुएँ हैं। घण्टा का अनुभव हमे अमुक समय मे अमुक प्रकार से हो चुका है, तो पचास हजार का अनुभव दूसरे समय से दूसरी प्रकार से और मील का अनुभव तोसरे समय मे तीसरी प्रकार से हुआ होता है। तात्पर्य है कि अनुभव के भण्डार मे ये तीनो वस्तुएं आई हुई है, जिन्हे साथ जोडकर कल्पना अपना रूप धारण करती है। जो कल्पना वस्तु के मूल स्वरूप से बराबर मिलती है, उसे सत्कल्पना या समान कल्पना कहते है। जैसे कि-कल्पना मे हाथो, घोड़ा, ऊंट, मनुष्य, आम, नीम्बू, गुलाब, केवड़ा आदि का आनां । इससे उल्टा जो कल्पना वस्तु के मूल स्वरूप को एकदम मोटा या एकदम छोटा बताने वाली अथवा विचित्र बताने वाली हो उसे असत् या असमान कल्पना कहते है। जैसे कि-पर्वत जैसा हाथी, चहे जैसा घोडा, आकाश जैसा ऊँट, पाठ सौ मञ्जिल का मकान, पन्द्रह आँख वाला मनुष्य, करोड मन का आम, लाख मन का नीम्बू, खेत के समान बड़ा गुलाब, ताड जैसा केवडा आदि आदि । वन्ध्या पुत्र, रेत का तेल, आकाश के फूल-ये भी एक प्रकार की असत् कल्पनाएं ही हैं। कल्पना का मन की वृत्ति पर अथवा भाव पर अचूक असर होता है। एक मनुष्य भिखारी हो, उसे कहा जाए कि तू एक दिन राजा बन जायेगा। तो वह राज्य पद की कल्पना से ही खुश हो उठेगा । एक मनुष्य को ऐसी कल्पना उठे कि मेरा समस्त धन अमुक दिन लुट जाने वाला है, तो वह तुरन्त दु खी बन जायेगा। इसी प्रकार एक राजा के मन मे यह कल्पना आए कि अमुक मनुष्य मेरे देश-पर चढ़ आयेगा या मेरे धर्म का नाश करेगा तो उसे तत्काल क्रोध आ जाएगा अथवा ऐसी कल्पना आए कि मेरे जैसा कोई शूरवीर नहीं है, तो उसमे अभिमान की वृत्ति जागृत हो जाएगी। इसी प्रकार पृथक्-पृथक कल्पना से हंसना, रोता, आश्चर्य और उत्तेजना का अनुभव होता है। जो कल्पना किसी प्रकार का प्रबल भाव उत्पन्न करती है, भावोद्रेक करती है, वह स्मरण शक्ति की खूब मदद करती है । जैसे
SR No.010740
Book TitleSmarankala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Mohanlalmuni
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1980
Total Pages293
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy