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________________ (3) यौगिक उपाय-दस प्रकार के साधन बताये गये है। सातवें एवं पाठवें पत्री में साधक की परिचर्या की चर्चा की गई हैं। नवें एवं दम पयो मे स्मृति के सवेदनात्मक पक्षो की चर्चा करते हुए इन्द्रियों की कार्यक्षमता एव इन्द्रिय-निग्रह की परीक्षा की गई है । चारवें एव बारहवें पत्रों में म्मृति मे कल्पना के योगदान की चर्चा करते हुए सृजनात्मयता (Creativity) के विकास को इ गित किया गया है। तेरहवें पत्र मे कल्पना के विकान और उसके उपयोग में स्मृति शिक्षण एवं सृजनात्मकता शिक्षण को सम्बन्धित किया है। इस सम्बन्ध को पुष्ट करने के लिये प्राधुनिक पाश्चात्य मनोवैज्ञानिक भी Momory Training का Creativity Training. मे संवध जोड़ने के लिये शोध पर बल देते हैं। चौदहवें, सत्रहवें पत्रों मे स्मृति मे माहचर्य की स्वीकृति भूमिका की विस्तार पूर्वक चर्चा एवं विश्लेषण किया गया है । अठारहवें से वाइसवें पत्रो में स्मृति के क्रम की उपयोगिता की चर्चा की गई है। तेइसवें एव चौबीसवें पत्रो में स्मृति को सुधारने के के लिए एक वैज्ञानिक प्रक्रिया का उल्लेख किया गया है, जिसे प्रवधान प्रयोग Interference reduction के मोपानो के रूप में दर्शाया गया है। है । अतिम पत्र मे स्मरण कला को समग्र विवेचना का मार प्रस्तुत करते हुए यह बताया गया है कि किसी भी विषय को याद रखने का प्राधार उसकी विधि सग्रह पर निर्भर करता है । अत में उपरोक्त विवेचना के आधार पर मेरा मविनय निवेदन है कि इस पुस्तक मे प्रस्तुत किये गये सैद्धान्तिक पक्षो की प्रायोगिक पुष्टि की सभावना निहित है । इस दिशा मे किये गये मौलिक शोध कार्य का नितान्त अभाव है, और शोध प्रयास लाभप्रद होगे। विनीत जयपुर 7-3-80 सच्चिदानन्द सिन्हा Professor of Psychology. University of Rajsthan JAIPUR
SR No.010740
Book TitleSmarankala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Mohanlalmuni
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1980
Total Pages293
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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