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________________ .. . ... सम्बन्ध जोडा जाता है, जैसे कि मंची (तेलगु) तो मच मची कंदलु (तेलगु) तो कद लू मूली को साफ कर खेमिया (बी) तो खेमि या दूसरा कोई फया (वर्मी) तो फूग्रा-फया । गार्टन (जर्मनी) तो गारटन (गार लीपने की एक टन जितनी तैयारी की है। - - रीजेम्बल (अ ग्रेजी) तो रीसेबल-रिजेम्वल लीव्रो (Libro पोर्चुगीज) लीबडो (नीम) लीब्डो लीवो। कोमर (Comor रशीयन) , तो कुमार कामार, - कोमर प्रादि-आदि। प्रश्न-ताश के पत्ते किस विधि से याद रखे जाते है ? उनमे हरेक प्रकार के तेरह-तेरह पत्त होने के कारण क्या भूल होना सम्भव नहीं है? उत्तर-ताश के पत्ते याद रखने के लिए मैंने खुद ही एक खास पद्धति निश्चित कर रखी है। उसके लिए प्रत्येक पत्ते को पशु, पक्षी या मनुष्य की स्वतत्र सज्ञा दी हुई है जिससे उस वस्तु को याद रखना और उस पत्ते को याद रखना एक समान है । जैसे कि मुझे हुकम का सत्ता याद रखना हो तो उसकी जगह मैं केवल कुत्ता याद रखता है । चिडी का सत्ता याद रखना हो तो सियाल याद रखता हूँ और ईट का सत्ता याद रखना हो तो मुर्गी याद रखता है। उसी प्रकार हुकम का- गुलाम याद रखना हो तो भील, चिड़ी के गुलाम के लिए जागीरदार, लाल पान के लिए राजा का चपरासी और ईट के गुलाम के लिए ब्राह्मण रसोइये को याद रखता हूँ। इन सज्ञापो को किसी भी पद्धति के वर्गीकरण के अनुसार निश्चित कर - लेना चाहिये जिससे कि सुगमता से याद रह सके। प्रश्न-ताश के पत्तो के बारह पत्ते मात्र एक नजर से देखकर सवा मिनट मे कैसे याद रहते है । उत्तर-बारह पत्ते चार विभागों मे तीन तीन पत्त होते हैं। उन्हे देखते ही अक्षरो की सहायता से शब्द बनाये जाते है। उनके चार शब्द बनते है । उन्हे कल्पना के साथ जोड़ लेना होता
SR No.010740
Book TitleSmarankala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Mohanlalmuni
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1980
Total Pages293
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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