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________________ ११६ १ स्मरण कला ८. पिजरा-गलना-गलना-ग ल न-३९१ ६. उल्लू-रपटकर - रपट - र प ट–२५२ १०. नदी-नदीश-न द श–१०८ अब वह सख्या तुम क्रमशः बोल सकोगे । १२०, ३६०, ५६२, ७४१, ६५२, १२८, ४२६, ३६१, २५२, १०८। इनमे जो चाहो वह टुकडा तुम याद कर सकते हो जैसे किपाँचवाँ टुकडा तो पानी बफारा-६५२ । नवम खड-उल्लू-रपट२५२ । दूसरा टुकडा तो करोत गोमेघ-गमध ३६० । इस सख्या-समह से जो भी अङ्क बताने का हो, तुम एक दम शीघ्रता से बता सकोगे। जैसे कि २७ अङ्क तो नौव टुकडे का अन्तिम प्रक। नौवा टुकडा रपट-र प ट - २५२ । इसलिये २७ वाँ अंक २, १४ वाँ अङ्क तो पाँचवाँ टुकडा, दूसरा अङ्क। पाँचवाँ टुकड़ा बफारा उसका दूसरा-फ- ५ ।। अब एक ४५ अड्डों कि सख्या लो। ४६२, ३८६, १७०, २४८ ६३५, ७६२, ३५६, ८७६, ००७, ५४३, २१०, ६६७, १२४, ८८६, १२५ । पहले इस सख्या के तीन तीन टुकडे करो और हरेक के नीचे क्रम लिखो । एक पक्ति मे पाँच टुकडो से ज्यादा मत लिखो। ४६२ ३८६ १७० २४८ ६३५ ७६२ ३५६ ८७६ ००७ ५४३ २१० ६६७ १२४८८६ १२५ , ११ १२ १३ १४ १५ । पहला टुकड़ा-४६२ = ज व र-अन्न का ढर बहुत जवर । दूसरा " ---३८६ गसल = गौशाला करोत लिये हुए कोई आदमी गौशाला की तरफ पा रहा है। तीसरा " -१७० कवद = कोविद आग की लपटो से दूर खड़ा है।
SR No.010740
Book TitleSmarankala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Mohanlalmuni
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1980
Total Pages293
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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