SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 119
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ स्मरण कला १०५ "पाठ चोरों ने एक ग्राम पर आक्रमण किया, उस समय सात मनुष्यो ने उनका सामना किया, पाँच व्यक्ति भाग गये और नव नष्ट हो गये। शेष मे वे दो घोड़ो पर सोने, चादी की तीन बोरियां जितना माल उठा ले गये। यह वाक्य एक बार बाँचने या सुनने पर ही याद रह जाएगा, कारण कि उसमे एक बनाव रहा हुआ है। अब उसमे व्यवहृत शब्दो के आधार पर तुम सख्या बोलो, तो बराबर बोल सकोगे, जैसे किपाठ चोर ८ चोर शब्द से चाय . L४ तुरन्त याद आये एक गाँव सात मनुष्यो ने सामना किया । ७ ।' ' पाँच मनुष्य भाग गये नव नष्ट हो गये दो घोडे तीन बोरियों - इस प्रकार ८४१, ७५९२३ की संख्या याद आई जिसमे पिछले चिह्न देते ८,४१, ७५, ६२३ की संख्या बराबर बन जाती है। दूसरी एक यह सख्या, लो। जैसे कि-१५, ३८, ४२, १७, . ५०३ (पन्द्रह अरब, अडतीस करोड़, बियालीस लाख, सतरह हजार, पांच सौ तीन ।) ___ इस सख्या को यदि तुम कोई भी भाव या क्रिया के साथ सम्वन्धित कर दो तो याद रह जाएगी जैसे कि-एक पच तीन ग्रामों का न्याय करने बैठा, उसमे उसने ८४ पुरुषो और २१ महिलाओ को गवाही ली इस कार्य मे उसे कुल सात दिन और पाँच घण्टे लगे। इतना होने पर भी अन्त मे परिणाम शून्य पाया क्योकि उसमे जो तीन वास्तविक अपराधी थे, वे तो हाजिर नही हुए थे; यह बात तीन वार बाँचने से याद रह जाती है। उसके आधार पर पूरी सख्या क्रमशः याद आ जाती है । जैसे कि
SR No.010740
Book TitleSmarankala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Mohanlalmuni
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1980
Total Pages293
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy