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________________ स्मरण कला ८९ खीची जा सकती है जो कल्पना के माध्यम से प्राकृति और रग को मन मे बराबर ला सकते है उनके लिए यह सरल है। रेखायो के लिए अलग-अलग प्रकार के चिह्नो का उपयोग भी याद रखने में अच्छी मदद करता है। उदाहरण के तौर पर१२ ३ ३ २ १२४६ ६ ४ २ ३ ६ ६, इन अको को ऐसे के ऐसे याद रखना हो तो बहुत कठिन लगता है पर उनमे यदि निम्नोक्त चिह्न किये जाए तो सरलता होती है, जैसे कि-१२३, ३२१, २४६, ६४२, ३६६ । भाषा मे भी अल्पविराम, अर्धविराम, पूर्ण विराम, प्रश्नार्थ चिह्न, पाश्चर्य विराम-चिह्न और अवतरण-चिह्न प्रादि उनका अर्थ समझने में सहायता करते है। इसलिए याद रखना सरल हो जाता है; परन्तु अपने शिक्षण क्रम में उनका उपयोग कैसे करना चाहिए उस सम्बन्ध मे पूर्ण ज्ञान नही मिलता, इसलिए उनकी होनी चाहिए वैसी महत्ता अपने दिल मे नही बैठी। महान् प्रसिद्ध लेखक भी इन चिह्नों के विषय मे होने चाहिए उतने व्यवस्थित नही होते है। इसी कारण पाठको को उनके लेखन का भाव जितना होना चाहिए उतना हृदयगम नहीं हो पाता। प्रिय बन्धु । यह पत्र प्रमाण में कुछ लम्बा हो गया है, पर तुम इस विषय के रसिक हो, इसलिए तुम्हे लम्बा नहीं लगेगा, ऐसा मानता हूँ । विशेष बाद मे। मगलाकाक्षी धी० मनन वाक्यो को याद रखने मे रेखाओ का उपयोग, कविता, घटना और अंको को याद रखने मे उनका उपयोग, गणित, भाषा आदि मे व्यवहृत चिह्नो का स्मरण शक्ति की दृष्टि से महत्त्व ।
SR No.010740
Book TitleSmarankala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Mohanlalmuni
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1980
Total Pages293
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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