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________________ ८८ स्मरण कला जिस भाग मे लोहा निकलता है, उनके नीचे रेखा खीच दो। इसी प्रकार दूसरी धातु, उपज, उद्योग आदि समझने चाहिए। मार्गों को याद रखने के लिए भी नक्शे में एक दूसरे स्थल को जोड़ती हुई रेखायें खीचने से उनकी दिशायें सरलता से याद रह जाती है। अडो का मुख्य कार्य परिणाम बताना है। इसलिए मात्र अङ्क लिखने की अपेक्षा यदि उनके साथ रेखाओं का उपयोग किया जावे तो उनकी स्मृति मन मे दृढता से अङ्कित हो सकती है जैसे कि उपज सन् १९४८ की ४० प्रतिशत उपज सन् १९४६ की ७० प्रतिशत, उपज सन् १९५० की ५० प्रतिशत अब आज यथार्थ देखने के लिए रेखामो का उपयोग करो और देखो कि वह कितनी शीघ्रता से याद रहता है |१०/२०३०४०६५०६०७०/८०/९०११०० १९४८ १९४९ - १९५० __रेखायो का उपयोग तुरन्त ही तुलनात्मक विचार देता है। सन् १९४६ की उपज सबसे अधिक थी। सन् १९५० की उससे दो खाना कम थी और सन् १९४८ की उससे भी एक खाना कम थी। इसलिए मात्र १९४८ की ४० प्रतिशत उपज याद रखने से तीन साल की उपज वराबर याद रह सकती है। केवल अङ्को से मन मे चित्र खडा नही होता, जब कि रेखाये एक प्रकार का चित्र खड़ा कर देती हैं। इस कारण वे सरलता में वृद्धि करती है। जहाँ वस्तुओ के विविध परिमाण को अथवा तरतम भावो को याद रखना हो, वहाँ अलग-अलग रग की पेंसिलो का उपयोग कर सकते हैं जैसे कि उत्कृष्ट भाव के लिए लाल, मध्यम भाव के लिए वादामी, सामान्य भाव के लिए हरा, मन मे भी रगीन रेखायें
SR No.010740
Book TitleSmarankala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Mohanlalmuni
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1980
Total Pages293
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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