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________________ प्रधानाचार्य श्री सोहनलाल जी धारण करता जाता था। इसी बीच सन् १९४७ आगया और अँग्रेजों ने भारत में भीषण हिन्दू-मुस्लिम दंगे कराए। अन्त में जब अंग्रेजों से भारत छोड़ने को कहा गया तो उन्होंने फिर देश को हिन्दुस्तान तथा पाकिस्तान इन दो भागों में बांटने का प्रस्ताव किया। भारतीय नेताओं ने 'जो धन जाता जानिये, आधा दीजे बांट' वाली नीति के अनुसार देश विभाजन को स्वीकार कर १५ अगस्त १९४७ को भारत से अग्रेजों को बिदा कर दिया। पूज्य महाराज श्री सोहनलाल जी का जीवन चरित्र लिखते २ हम इतनी बातें कह गये, जो प्रत्यक्षत: देखने में अप्रासंगिक लगती हुई भी अप्रासंगिक नहीं हैं। किसी महापुरुष का जीवन चरित्र लिखते समय प्रथम उसके जन्म स्थान का वर्णन करना आवश्यक है, क्योंकि उसके बिना जीवन चरित्र अधूरा ही कहलाता है। किन्तु पूज्य महाराज सोहनलाल जी का जन्म जिस स्थान में हुआ था, वह आज भारत का अंग न होकर पाकिस्तान का अंग बना हुआ है। अतएव देश विभाजन की कहानी को भी यहां प्रसंग के अनुसार देकर भारतीय सीमाओं के इतिहास पर एक दृष्टि डालनी पड़ी है। हमारे चरित्र नायक का जन्म उस देश में हुआ था, जिसे पांच महानदियों-सतलज, रावी, व्यास, चिनाब और जेहलम -के कारण पश्चनद अथवा पक्षाब प्रदेश कहा जाता है। इन पांचों नदियों के पश्चिम में सिन्धु नदी तथा पूर्व में प्राचीन काल में सरस्वती नदी बहती थी। इसलिए प्राचीन वैदिक कालमें इस प्रदेश को 'सप्त सिन्धु' अथवा 'सप्त नदियों वाला देश' कहा जाता था। इन नदियों ने अपनी शीतल जलधारा से इस
SR No.010739
Book TitleSohanlalji Pradhanacharya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherSohanlal Jain Granthmala
Publication Year1954
Total Pages473
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size18 MB
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