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________________ आत्म शक्ति ३७३ अमृतसर का इस दुर्घटना में एक मकान में आग लग गई। वह आग ऐसी फैली कि उपाश्रय के पास के मकान में भी आ लगी। साधु लोग आग को देखकर महाराज से बोले ___ "गुरुदेव ! आग उपाश्रय में भी आ जावेगी । आप इसे छोड़ कर चले।" ' तब आपने उत्तर दिया "भाग उपाश्रय में कभी नहीं आवेगी। आप लोग निश्चित होकर बैठे रहें। घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है।" __ आपके यह कहने के बाद आग और भी तेजी से फैलने लगी और उसकी लपटें उपाश्रय के किवाड़ों को छूने लगी, जिससे वह काठ के किवाड़ काले पड़ गए। तब साधु लोग फिर घबरा कर बोले ___"गुरुदेव ! अब तो आग अपने द्वार तक आ गई । अब तो इस स्थान को छोड़ दें।" किन्तु आपने फिर वही उत्तर दिया। "भई ! चिन्ता मत करो। आग यहां कभी नहीं आ सकती।" __ आपके यह कहते २ आग ठण्डी हो गई और उपाश्रय उस आग से साफ बच गया। , यह सारी घटनाएं १० अप्रैल १६१६ को बैंक की लूट होने के साथ ही हो गई। बैंक की लूट के कारण लोगों की धड़ाधड़ तलाशियां की गई। जैसा कि तलाशियों में सदा ही होता आया है तलाशियों में अपराधी बच जाया करते हैं और धनिकों को
SR No.010739
Book TitleSohanlalji Pradhanacharya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherSohanlal Jain Granthmala
Publication Year1954
Total Pages473
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size18 MB
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