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________________ प्रधानाचार्य श्री सोहनलाल जी विश्व विद्यालय-था कि संसार भर में उसकी जोड़ का कोई अन्य विश्व विद्यालय नहीं था। सम्राट श्रेणिक का- प्रधानमंत्री वर्षकार, महावैयाकरणी पाणिनि तथा कूटनीति के प्राचार्य चाणक्य जैसे उद्भट विद्वान इसी विश्व विद्यालय के स्नातक थे। इन दिनों पेशावर का नाम पुरुषपुर तथा लाहौर' का नाम 'लवपुर था । इन दिनों भारत की सीमा मध्य एशिया तक फैली हुई थी। संसार भर के समुद्रों पर भारतीय जल सेना का प्रभुत्व था और भारतीय जहाज़ विश्व के सभी भागों में 'व्यापार के लिए जोया आया करते थे। .. . क्रमशः सारतीय सत्ता विभाजित हुई, जिससे भारतवर्ष का विस्तार भी कम होगया। सातवीं शताब्दी में मुहम्मद साहिब के इस्लाम धर्म चलाने पर सुसलमान धर्म अरव से निकल कर विश्व भर में फैलने 'लगा। कुछ ही समय में मद्रदेश (ईरान) तथा गांधार देश (अफगानिस्तान) ने भी इस्लाम धर्म को सामूहिक रूप में स्वीकार कर लिया। इससे ईरान के पारसी अपना देश छोड़कर भारत में आ.बसे । . . . . . . . । . .यद्यपि गांधार देश इस्लाम को स्वीकार करके अफगानिस्तान बन गया, किन्तु तो भी वह अकेबर तथा और गजेब जैसे-मुगल सम्राटों के रामय तक भारत का अंग ही बना रहा । समय ने पलटा खाया और मुग़ल शासन के स्थान पर 'भारत पर अंग्रेजों का प्रभुत्व हुआ। किन्तु 'अँग्रज विदेशी थे। वह अनेक प्रकार के अत्याचारों द्वारा यहां के धन को एकत्रित कर २के सात समुद्रपार अपने देश इंगलैड भेज देते थे। इनके इस व्यवहार के कारण भारत में उग्र राजनैतिक अन्दिोलन
SR No.010739
Book TitleSohanlalji Pradhanacharya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherSohanlal Jain Granthmala
Publication Year1954
Total Pages473
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size18 MB
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