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________________ सतीत्व रक्षा नो निनिहेज्ज वीरियं । भगवान् महावीर ने उपदेश दिया है कि "अपनी वीरता को मत छिपात्रो।" ___ एक बार गौतम स्वामी ने भगवान महावीर स्वामी से प्रश्न किया गौतम-भगवन् ! जो पुरुष सामर्थ्य होते हुए भी दु:खी के' दुःख को दूर नहीं करता, वरन् खड़े खड़े देखता रहता है तथा उससे उदासीन रहता है वह किस कर्म को बांधता है ? भगवान् गौतम ! वह वीर्यान्तराय कर्म का उपार्जन करता है। उसके प्रभाव से भविष्य में उसे शक्ति प्राप्त नहीं होती। अतएव उसको धर्मरक्षा के समय पीछे नहीं हटना चाहिये। इतिहास से भी यही बात सिद्ध है कि श्री राम ने केवल तारा के सतीत्व की रक्षा करने के लिये ही सहस्रगति को मारा था। छत्रपति शिवा जी ने दिलेर खां की पुत्री के शील की रक्षा करने के लिये औरंगजेब के पुत्र शाह आलम की कई सहस्त्र सेना का केवल तीस-पैंतीस वीरों को ले कर सामना कर उसमें सफलता प्राप्त की थी। वीरवर दुर्गादास राठौर ने एक बाला
SR No.010739
Book TitleSohanlalji Pradhanacharya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherSohanlal Jain Granthmala
Publication Year1954
Total Pages473
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size18 MB
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