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________________ १०३ मामा के यहां निवास भविष्य के सम्बन्ध में लेशमात्र भी विचार नहीं करता, और अपने अध्ययन के समय को व्यर्थ नष्ट करता हुआ सदा लोगों की पंचायत में पड़ कर चौधरी बनता रहता है। न तो इसे भोजन के समय का ध्यान रहता है और न पढ़ने अथवा 'सोने के समय का। इसके ऊपर यही लोकोक्ति लागू होती है कि "कल का जोगी गले में लटा"। इस छोटी सी पन्द्रह साल की आयु में चौधर का शौक इस को तथा इसके जीवन को वरवाद कर रहा है।" लक्ष्मी देवी के इन वचनों को सुन कर गंडे शाह बोले "यह तो इसका कोई अपराध नहीं है। बच्चे में सत्य भाषण, विनयशीलता, पवित्रता, बुद्धिमत्ता सभी गुण हैं। तू कहती है कि यह पढ़ता नहीं है, किन्तु यह अपनी कक्षा में प्रति वर्ष अच्छे नम्बरों से पास होता है। यह तेरी बात ठीक है कि इसको अभी से दूसरों के झगड़ों में नहीं पड़ना चाहिये। यह वास्तव में इस की भारी भूल है।” यह कह कर लाला गंडा मल ने सोहनलाल को अपने पास खींच कर खूब प्यार किया। फिर वह उससे बोले. ___ "बेटा ! तुम अपनी पढ़ाई पर ध्यान रखा करो और अभी इन झमेलों में मत पड़ा करो। इसमें संदेह नहीं कि लोगों के झगड़ों में पड़ कर तुम अपनी भलाई ही करते रहते हो, किन्तु तुम्हारा अभी पढ़ाई का समय है। तुमको उसे इस प्रकार व्यर्थ नष्ट नहीं करना चाहिये।" अपने भाई के यह शब्द सुनकर लक्ष्मी देवी बोली "भइया ! इससे आपका कुछ भी कहना बेकार है। इससे इन पंचायतों में पड़े बिना कभी भी नहीं रहा जावेगा । मैं ने
SR No.010739
Book TitleSohanlalji Pradhanacharya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherSohanlal Jain Granthmala
Publication Year1954
Total Pages473
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size18 MB
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