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________________ ( २४ ) समान धर्मी भाई यूंही अपनी गप्पे शप्पे मारकर काम चलाते हैं। नास्तिक-यह तो ठीक कहा मगर औरभी कोइ दलील पेश करें। ___ आस्तिक-लो सुन लो । प्रथम वायु तेजके अभावसे चैतन्य नहीं मालुम होताहै । इस बातपर बहोतसे प्रमाण देकर आ को झूठे सिद्ध किया और मरनेपरभी पांच भृतोशा एकी भाव हो सक्ता है यह बतलाया । मगर अब फर्ण करोकि आप सचे हैं और वायु तेजके अभाव होनेसे चैतन्य नहीं पैदा होता । इस वातको सची मान ली जावे तोभी आपकी बात सिद्ध नहीं हो सक्ति । ___ क्योंकि कुछ कालके बाद उसी मृत शरीरमें कीडे पैदा होते हैं, बतलाइये ? उनमें कैसे चैतन्य पैदा होता है ? अगर उनमें हवा और तेज तत्वके प्रकट होनेसेही चैतन्य पैदा होता है तो यह कैसे सिद्ध हुआकि शरीरमें तेज हवाके न होनेसे चैतन्य नष्ट होता है । क्योंकि तुम्हारे मतके मुताविक शरीरान्तगंव कीटोंका पैदा होना तवही माना जायगा जवकि हवा और तेज तत्व मिलेंगे। ____ जब हवा और तेज तत्व का शरीरमें संचार मानोगे तो कीटोंके साथ मानुषी शरीरके अंदरभी गमनागमनादिक
SR No.010736
Book TitleJain Nibandh Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand J Gadiya
PublisherKasturchand J Gadiya
Publication Year1912
Total Pages355
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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