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________________ ( ३२२ ) अकबरशाहका मजहब मुन्तखिव करनेवालाथा. जबकि वव सत्यका सच्चा ढूंढनेवालाथा इसलिये जहां उसे वो पाया चहांसे उसने हासिल किया। निन्न लिखितसे मालूम होगाकि ___ उसने प्राणियोंका वध न करना, प्राणीमात्रसे स्नेह रखना, और कुछ मर्यादातक मांसाहारको त्यागना, पूर्व जन्ममें यकीन करना, और कर्मके विधानको मानना जैनोयोंसे लि. याथा. और इसीलिये उसने उस धर्म (जैन) के पवित्र स्थान उस धर्मके अर्थात् जैन धर्मके अनुयायियोंको देकर और उक्त मजहबके आचार्योको इज्जत देकर प्रतिष्ठा बढ़ाई। ___ अकवरके दरवारमें विद्वानोंकी तादादकी तरफ अगर नजरकी जावे (जोके “आईने अकवरीमें दर्ज है) तो मालूम होगा कि हीरविजयसरि, विजयसेनमारे और भानचंद्रजी यति वगेराओं के नाम है । अकवरके दरवारमें विद्वानोंके पांच वर्ग थे. हीरविजयमरि अवल दर्जेमे और दूसरे दो व्यक्ति पांचवे दर्नेमें थे। ___ अकबरने बहुतसे दुश्मनोपर फतह पाई और तव कोई दुश्मन न रहाथा तब उसने अपना दिल धर्मकी वातोंपर डाला. कद्दर मुसलमान न होनेसे उसने तमाम धर्मके विद्वानोको अपने दरवारमें बुलाया और उनसे मजहबकी बातोंपर बहसकी जगद्गुरु काव्यमें लिखाहै कि,
SR No.010736
Book TitleJain Nibandh Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand J Gadiya
PublisherKasturchand J Gadiya
Publication Year1912
Total Pages355
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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