SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 274
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ - ( २५६ ) इतिहास-महान् आचायाँके चरित्र, उनोंके प्रबोधित राजाओके चरित्र, अन्य जैनी राजाओंके चरित्र. उनोकी महान् कृतियें, मुख्य २ श्रावकोंके चरित्र, सतीयोंके चरित्र इत्यादि २ आचार-सामायक चैत्यवंदन प्रतिक्रमण नवस्मर्ण मूल अर्थ विधिहेतु युक्त दर्शन पूजन विधि भभ्याभक्ष्यविचार श्रावकाचारका वर्णन, बारह 'व्रतोही समन, चतुर्दश नियमविचार व्रतपञ्च खाणोंका विवेचन, उपयोगी स्तवन, चैत्यवंदन, सझाये, स्तुतियें, रास, छंद इत्यादि २ उपरोक्त विषयोंकी पाठयाळाएं पुर्ण उपयोग पूर्वक विद्वान मंडल तैयार करें और वे धार्मिक पाठशालाओंमें पढाये जावें. वे पाठमाला ऐसी सरल और साफ होनी चाहिये कि विद्यार्थियोंके मस्तिष्कमें कम परिश्रमसें ज्ञान ठस जावे और सामान्य परिचय वाला शिक्षकभी पनासकें. प्र. ऐसी पाठमालाओंके पढनेसें फिर लोक धर्मसे वि मुख नही रहेंगे ? उ० बेशक नहीं रहेंगे किन्तु पुर्ण धर्मिष्ट वनकर स्वपरका कल्याण कर सकेंगे और जो अन्य भाषाएं संसार निर्वाहके लिये सीखेंगे . जनोंमेंभी इस धार्मिक अ
SR No.010736
Book TitleJain Nibandh Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand J Gadiya
PublisherKasturchand J Gadiya
Publication Year1912
Total Pages355
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy