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________________ ( २५५ ) विपयोंका वर्णन'तत्वज्ञान-देव गुर धर्मकास्वरूप, जीव अजीव पदार्थोका वर्णन, पडद्रन्यकी समझ, जीवों के विभाग, स्थान, आयु, शरीर, इद्रिय, प्राणादिकोका विवेचन, सूक्ष्म जीवोंकी उत्पत्ति, आधुनीक पद्धतीसें उनका विवेचन और सिद्ध करना कर्मोका वर्णन, उनके विभाग, स्थिति, जीवके साथ उनका सबध किस रीतिसें अरिहतादि पच परमेष्टीका स्वरूप, उनोके गुणोका वर्णन, गुणस्थानक वर्णन, नय, निक्षेप प्रमाणों का विवेचन इत्यादि २ भूगोल-काल चक्रका वर्णन, कालके विभाग, उनोंकी सख्या, स्वर्ग मृत्यु और पाताल याने देवलोक मनुष्यलोक और नर्कका वर्णन, उनके विभाग, नपती, वहाके रहने वाले जीवोका विवेचन, असरयद्वीप समुद्रोका विरेचन, इग्लीश भूगोल और जैन भूगोलका मिलान, पर्वत दह नदी कृट बनोका वर्णन इत्यादि सृष्टीकी उत्पत्तीकी भूल भरी समझका समाधान, सृष्टीका फर्ता कोई नहीं अनादि प्रवाह सिद्ध, मुख्य ? तीर्थ करोके चरित्र, उनोके समयसे पडे हुवे धर्म सबधी भेद, उनोफे वैभवका वर्णन, द्वादशांगीका वर्णन उनोकी पवित्र देशना.
SR No.010736
Book TitleJain Nibandh Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand J Gadiya
PublisherKasturchand J Gadiya
Publication Year1912
Total Pages355
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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