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________________ ( २४३ ) घ्या है ? खामी मात्र उन्हें मुशिक्षित करनेकी है. ___ सामत कालमेंभी विलायतके अदर खीये वही विद्वान और निपुण हैं और वही बडी पदवीयें भोगती है. कईक डातर है, कईर वेरिष्टर हैं, कई वर्तमानपत्रोंकी सपादका हैं कईक बडी २ सस्थाओंकी कार्यवाहक है, कई वही २ ओफि सोंमें काम करती हैं, कईक पर कारखाने दुकाने चलाती हैं यहातक कि पालीमेन्टमें मेम्बर बनकर राज्य सबधी अधिकार प्राप्त करनेकी उम्मे करती हैं, वासी असरय गृहस्व स्त्रीय शिक्षित होने से अपनी गृहव्यवस्था करने में पूर्ण कुशल हैंकहिये। क्या हमारे भारतवर्षमै वा हमारे जैन-समाजमें ऐसी स्त्रीय कमी उत्पन्न होगी ? हमारी जननी-समाजके तरफ देखकर हमें वडामारी गोक होता है कि सेकडे दो तीन स्त्रीयभी गिक्षित नहीं है। क्या कियानाय स्वीयोंकी क्या परतु पुस्पाकी दशामी; अधिक शोचनीय है तो स्त्रीयोंकी हो उसमें क्या अधिकाइहै ! हे मिय माताओं । भगिनीयो । पिना आपकी शिक्षाके हमारी भविपकी मनाकी उन्नती जो हम इच्छते है अयवा उसके होनेके लिये मयत्न करते हैं वह होना अति फठिनहै कारण कि
SR No.010736
Book TitleJain Nibandh Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand J Gadiya
PublisherKasturchand J Gadiya
Publication Year1912
Total Pages355
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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