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________________ ( १९३) आपको ज्ञातिका भला करनेकी इच्छा होनी चाहिये, आपको आपके पवित्र शान पर तो पूरी श्रद्धा हेही, टोटा रसकर नफा मिलाना यह तो आपका खास गुण हैही, तो वेहमी और अज्ञान मनुष्योंके हसीके पान होकर ऐसी अज्ञान सूचक नफट और निर्लन चालका नाश करके आपके ज्ञातिभाइयों को क्या सुखी न करोगे ? अवश्य करोगे। __रोने कूटनका रिवाज हानिकारकही नहीं, पर शमावे ऐसा और धिकारपान है! हरएक चतुर मनुष्यका कतव्य है कि अपने घरमेसे और जाति तथा देशमसे एसे नफट चाल जड मूल्से निकाल देना चाहिये. आप विचार कीजिये कि इस चालको निकाल देनेमे आपको कोई तरहका गैरफायदा होगा क्या ? बिलकुलनहीं ! उलटे अनेक जातके राम मिलेंगे. दूसरे लोगोंमें आपकी आपर बढेगी आपके वास्ते अच्छे विचार पैदा होंगे, आपके धर्मका मूल दयाही है ऐसा अन्यदर्शनीय लोग घरावर समदोंगे, सासारिक सुधारा करनेमें आप अग्रेसर होनेमे नामाकित होजाओग कदाचित् आप पूछेगे कि कुटुम्बीके मृत्युके वक्त रोना स्टना नहीं तो क्या करना ? उसके जवानमें मृत्युके समय ऐसा गहेलापन न बताते प्रभुका स्मरण करना चाहिये-और मृत्युके बाद अपने सगे सोई आकर रोने कूटने लगे तो
SR No.010736
Book TitleJain Nibandh Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand J Gadiya
PublisherKasturchand J Gadiya
Publication Year1912
Total Pages355
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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